यह मंच राष्ट्रवादी मुस्लिमों का एक समूह है, जो आरएसएस की विचारधारा से प्रेरित है
दिल्ली,संवाददाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि मुसलमान भी आरएसएस में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए एक शर्त है—उन्हें “भारत माता की जय” का नारा स्वीकार करना होगा और भगवा झंडे का सम्मान करना होगा।
भागवत ने बनारस की पवित्र धरती पर एक सभा में यह बयान दिया, जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ की विचारधारा में किसी भी धार्मिक समुदाय या पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। उनका कहना था, “संघ का दरवाजा भारत के हर संप्रदाय, समुदाय और जाति के लिए खुला है, लेकिन जो लोग खुद को औरंगजेब का वंशज मानते हैं, उनके लिए यहां जगह नहीं है।” यह बयान इस तथ्य से भी जुड़ा है कि आरएसएस पहले से ही मुस्लिम समुदाय के लिए एक विंग चलाता है, जिसे ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ कहा जाता है। यह मंच राष्ट्रवादी मुस्लिमों का एक समूह है, जो आरएसएस की विचारधारा से प्रेरित है और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित है।
भागवत ने आगे कहा, “भारत माता की जय का नारा और भगवा झंडा भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। जो इनका सम्मान करेगा, वह संघ का हिस्सा बन सकता है।” इस बयान में संघ की समावेशिता की सोच को स्पष्ट किया गया, जो अपनी विचारधारा को मजबूत रखते हुए भी समाज के विभिन्न हिस्सों को एकजुट करने का प्रयास कर रहा है। भागवत का यह बयान भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक माहौल में एक नई बहस को जन्म दे रहा है, और इसे लेकर देशभर में चर्चा जारी है।