पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून की आलोचना की, कहा- अवैध व्यापार और अधिकारियों के लिए मुनाफे का साधन
पटना : पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के शराबबंदी कानून की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद शराब और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अवैध व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि शराबबंदी कानून सरकारी अधिकारियों के लिए मोटा पैसा कमाने का एक साधन बन गया है। न्यायमूर्ति पूर्णेन्दु सिंह ने यह टिप्पणियां उस समय की, जब उन्होंने एक पुलिस निरीक्षक के निलंबन को रद्द किया, जो कि शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई के दौरान गलत तरीके से निलंबित किए गए थे।
कोर्ट का कड़ा आदेश
कोर्ट ने पुलिस निरीक्षक के निलंबन को प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन बताते हुए उसे रद्द कर दिया। इसके साथ ही न्यायमूर्ति सिंह ने यह भी कहा कि बिहार सरकार शराबबंदी कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कानून के कारण गरीबों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है, जबकि शराब तस्करी के माफिया और सरगना बच निकलते हैं, क्योंकि जांच में अक्सर गंभीर कमियां होती हैं।
गरीबों के खिलाफ कार्रवाई, माफिया बच जाते हैं
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि शराब पीने वाले गरीबों के खिलाफ अधिकतर मामले दर्ज किए जाते हैं, जबकि शराब तस्करी के माफिया और सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई में कमी रहती है। जांच अधिकारियों की लापरवाही के कारण माफिया और सरगना सबूतों के अभाव में बच निकलते हैं।
2016 से लागू है शराबबंदी कानून
गौरतलब है कि बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है। हाल के दिनों में पटना हाईकोर्ट द्वारा यह फैसला सुनाया गया था, जिसका आदेश अब राज्य सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
कोर्ट का सख्त संदेश
पटना हाईकोर्ट का यह आदेश शराबबंदी कानून पर सवाल उठाता है और सरकार से यह मांग करता है कि वह इस कानून के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और समग्रता लाए, ताकि इसका दुरुपयोग न हो और गरीबों को कानून के कारण अत्याचार का सामना न करना पड़े।