नौ साल बाद घरेलू धरती पर खिताब जीतने का सुनहरा मौका
चेन्नई। नौ साल बाद अपने घर में जूनियर विश्व कप का खिताब जीतने का सुनहरा मौका लेकर मेजबान भारत आज (शुक्रवार) से शुरू हो रहे FIH मेन्स जूनियर हॉकी विश्व कप में अपने अभियान की शुरुआत चिली के खिलाफ पहले पूल मैच से करेगा। दो बार के चैंपियन भारत की निगाहें सिर्फ जीत पर नहीं, बल्कि टूर्नामेंट में दमदार प्रदर्शन कर अपना दबदबा कायम करने पर हैं।
2016 में लखनऊ में हरेंद्र सिंह की कोचिंग में मिली खिताबी जीत के बाद अब नई पीढ़ी के सामने वही इतिहास दोहराने की चुनौती है। इस बार टीम की कमान ओलंपिक पदक विजेता से कोच बने पी.आर. श्रीजेश के हाथों में है। श्रीजेश के लिए यह टूर्नामेंट सिर्फ खिताब जीतने का मौका नहीं, बल्कि भविष्य में सीनियर भारतीय टीम के कोच के रूप में अपनी क्षमता साबित करने का महत्वपूर्ण अवसर भी है।
भारत को मौजूदा टूर्नामेंट में पूल बी में रखा गया है, जिसमें चिली के अलावा ओमान और स्विट्जरलैंड भी शामिल हैं। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए भारत यात्रा से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसकी जगह ओमान को शामिल किया गया।
भारत ने अपने दो विश्व कप खिताब 2001 (होबार्ट) और 2016 (लखनऊ) में जीते थे। 46 साल पहले 1979 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट में जर्मनी सबसे सफल टीम है, जिसने सात खिताब अपने नाम किए। अर्जेंटीना ने 2005 और 2021 में जीत दर्ज की, जबकि पाकिस्तान ने पहला जूनियर विश्व कप 1979 में जीता था। ऑस्ट्रेलिया ने 1997 के फाइनल में भारत को हराकर खिताब जीता था। 2023 में कुआलालंपुर में खेले गए पिछले जूनियर विश्व कप में भारत चौथे स्थान पर रहा था और वह कांस्य पदक मैच में स्पेन से 1-3 से हार गया था। जर्मनी तब चैंपियन बना था।
इस बार विश्व कप चेन्नई और मदुरै में आयोजित होगा, जिसमें रिकॉर्ड 24 टीमें खिताब के लिए उतरेंगी। छह ग्रुप बनाए गए हैं, प्रत्येक में चार टीमें होंगी। राउंड-रोबिन चरण के बाद प्रत्येक ग्रुप की शीर्ष टीम और दूसरे स्थान की दो सर्वश्रेष्ठ टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचेंगी।
विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर मौजूद भारत खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। जर्मनी अंडर-21 रैंकिंग में शीर्ष पर है। सुल्तान जोहोर कप में रजत पदक जीतने के बाद भारतीय टीम शानदार लय में है और घरेलू मैदान का पूरा फायदा उठाना चाहेगी। हालांकि पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने की समस्या अभी भी चिंता का विषय है—सुल्तान जोहोर कप में भारत ने 53 पेनल्टी कॉर्नर में सिर्फ आठ गोल किए थे। कोच श्रीजेश इस कमजोरी से परिचित हैं और उन्होंने इस दिशा में रणनीतिक बदलाव किए हैं।























