मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने लिया निर्णय
नई दिल्लीः दुष्कर्म-हत्या के मामले में डॉक्टर की तस्वीरें सोशल मीडिया से हटाने का निर्देशमुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने लिया निर्णयनई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आर जी कार मेडिकल कॉलेज में नौ अगस्त को स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या मामले की स्वत: संज्ञान सुनवाई की। पीड़िता की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर मौजूद सभी तस्वीरें तत्काल हटाने का सोमवार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह निर्णय लिया। इस मामले में राज्य सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से पेश जांच प्रगति विवरण पर गौर करने के बाद यह आदेश दिया। पीठ ने मृतका की गरिमा और गोपनीयता की रक्षा के मद्देनजर उनकी तस्वीरों को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तत्काल हटाने का निर्देश दिया।
आंदोलनकारी डॉक्टरों को ड्यूटी पर लौटने का दिया निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने अस्पताल में सुरक्षा की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ हीआंदोलनकारी डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला औरन्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने नौ अगस्त को उस कॉलेज की 31 वर्षीया एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या के मामले में जांच प्रगति विवरण और अन्य पहलुओं पर विचार करने के बाद यह आदेश पारित किया।पीठ ने कथित दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ एक माह से लगातार हड़ताल, धरना, प्रदर्शन कर रहे पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे कल शाम पांच बजे तक अपनी-अपनी ड्यूटी पर लौट आएं, नहीं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि डॉक्टरों का विरोध उनकी ड्यूटी की कीमत पर नहीं होसकता। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हमने दो दिन का समय दिया है। युवा डॉक्टरों को अब अपने अपने काम पर वापस लौटना चाहिए। हम जानते हैं कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है। पहले काम पर लौटें। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। आपको अब काम पर लौटना होगा। यदि आप काम पर नहीं आते हैं, तो आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराएँ। आप यह नहीं कह सकते कि वरिष्ठ डॉक्टर काम कर रहे हैं, इसलिए हम भी नहीं करेंगे।