80 से 100 मीटर तक जमीन में घुसकर दुश्मन के किलेबंद ठिकानों को भेदेगा बस्टर
नई दिल्ली,संवाददाता : ईरान के अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बंकर बस्टर हमलों के बाद भारत ने भी ऐसी अत्याधुनिक क्षमता विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन अब बंकर बस्टर बम के स्वदेशी संस्करण पर काम तेज कर रहा है, जो अग्नि-5 मिसाइल के माध्यम से दुश्मन के भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम होगा।
बंकर बस्टर बम: भारत का स्वदेशी जवाब
भारत की रणनीति अमेरिका की तरह स्टील्थ बॉम्बर्स पर आधारित नहीं, बल्कि मिसाइल आधारित होगी। डीआरडीओ अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का एक संशोधित, पारंपरिक हथियारयुक्त संस्करण तैयार कर रहा है, जो लगभग 7500 किलोग्राम वजनी बंकर बस्टर वारहेड को ले जाने में सक्षम होगा। इस वारहेड की विशेषता यह होगी कि यह विस्फोट से पहले 80 से 100 मीटर तक जमीन में घुसकर दुश्मन के किलेबंद ठिकानों को भेदेगा। भारी वारहेड के कारण इसकी रेंज मूल अग्नि-5 की तुलना में घटकर लगभग 2,500 किलोमीटर रह जाएगी, लेकिन इसकी मारक क्षमता अत्यंत घातक होगी।
ध्वनि से 8 से 20 गुना तेज हमला
इस मिसाइल की गति मैक 8 से मैक 20 यानी ध्वनि की रफ्तार से आठ से बीस गुना अधिक होगी, जिससे दुश्मन के पास प्रतिक्रिया का समय नहीं बचेगा। यह अत्याधुनिक हथियार भारत की पारंपरिक सैन्य शक्ति को एक नई धार देगा।
पाकिस्तान के पहाड़ी बंकर भी होंगे निशाने पर
रक्षा सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को पहाड़ियों के नीचे सुरक्षित स्थानों पर रखने की नीति पर लंबे समय से काम करता रहा है। ऐसे में भारत का यह नया हथियार रणनीतिक रूप से बेहद अहम साबित हो सकता है।
अमेरिका ने ईरान के खिलाफ किया था इस्तेमाल
बीते सप्ताह अमेरिका ने ईरान के नातांज, फोर्डो और इस्फहान स्थित तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया। इन हमलों में अमेरिका ने अपने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP) का इस्तेमाल किया था, जिसका वजन 13,600 किलोग्राम तक होता है और यह 200 फीट गहराई तक घुसकर धमाका कर सकता है। भारत की योजना भारी बमवर्षकों पर निर्भर न होकर मिसाइल-आधारित डिलीवरी सिस्टम पर आधारित है, जिससे लागत में कमी, ऑपरेशनल सादगी और बेहतर रणनीतिक लचीलापन हासिल किया जा सके।