धार्मिक आधार पर लक्षित हिंसा की एक गंभीर मिसाल बन गया है हमला
नई दिल्ली,संवाददाता : जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में तीव्र आक्रोश है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट के आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों की पहचान कर उन पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल हो गए।
हमले में मारे गए सभी पर्यटक भारत के विभिन्न हिस्सों से तीर्थ यात्रा पर आए थे। आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और हिंदू होने की पुष्टि के बाद हमला किया। यह हमला न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि धार्मिक आधार पर लक्षित हिंसा की एक गंभीर मिसाल बन गया है।
इस हमले के जवाब में भारत सरकार ने कई सख्त फैसले लिए हैं। इनमें सबसे बड़ा फैसला सिंधु जल समझौते को रोकने का है। इस निर्णय के बाद अब भारत सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान भेजना बंद करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे पाकिस्तान में पानी की गंभीर किल्लत उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि देश का एक बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में बेचैनी फैल गई है। जहां एक ओर आम जनता पानी की कमी को लेकर चिंतित है, वहीं राजनैतिक स्तर पर बयानबाज़ी शुरू हो चुकी है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने इस मुद्दे पर भड़काऊ बयान दिया है।
बिलावल भुट्टो की धमकी: “या तो पानी बहेगा या खून”
एक जनसभा को संबोधित करते हुए भुट्टो ने कहा, सिंधु दरिया पाकिस्तान का है और पाकिस्तान का ही रहेगा। हम इसके वारिस हैं। भारत इसका पानी नहीं रोक सकता। या तो सिंधु नदी में पाकिस्तान का पानी बहेगा, या भारत का खून।”
भुट्टो का यह बयान दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। भारत सरकार ने इस बयान को ‘अविवेकी और भड़काऊ’ करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की योजना बनाई है।