सीमेंट और आटे को भी हलाल सर्टिफिकेशन की जरूरत
दिल्ली,संवाददाता : उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में हलाल प्रमाणन को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें हैरानी हो रही है कि मांस के अलावा अन्य उत्पादों को भी हलाल प्रमाणित किया जा रहा है, जिनमें आटा, बेसन, सीमेंट, सरिया और यहां तक कि पानी की बोतलें भी शामिल हैं। उनका कहना था कि इन उत्पादों का हलाल प्रमाणन आपत्तिजनक नहीं है, लेकिन इसका प्रमाणन किसी तार्किक आधार पर नहीं किया जा सकता। मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ को बताया कि हलाल मांस का प्रमाणन कोई समस्या नहीं है, लेकिन अन्य उत्पादों का हलाल प्रमाणन कैसे किया जा सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में एजेंसियां मोटी रकम वसूल रही हैं, और इससे कीमतें बढ़ रही हैं।
इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद ने कहा कि केंद्र की नीति में हलाल को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है, जो केवल मांसाहारी भोजन से संबंधित नहीं है। उन्होंने हलाल प्रमाणन के विस्तार को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को चार हफ्ते में एक रिज्वाइंडर दाखिल करने को कहा है, और इस मामले की सुनवाई 24 मार्च से शुरू होगी। यह मामला पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलमा महाराष्ट्र द्वारा दायर याचिकाओं के बाद सुना जा रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी।