वर्तमान में जहां जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले था नीलकंठ महादेव का मंदिर
नई दिल्ली,संवाददाता : उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में जामा मस्जिद को लेकर एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है। हिंदू महासभा ने दावा किया है कि जहां वर्तमान में जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था। इस मामले को लेकर कोर्ट में वाद दायर किया गया है और आज, मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में इस पर सुनवाई होगी।
यह है मामला
यह मामला 2022 में तब शुरू हुआ था, जब अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया कि जामा मस्जिद की जगह पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था। उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। सरकारी पक्ष और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे में सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट भी अदालत में पेश की जा चुकी है।
मस्जिद की पुरानी होने का दावा
शम्सी शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता असरार अहमद ने दावा किया कि मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और वहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू महासभा को इस मामले में याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है।
वादी पक्ष ने अदालत में पेश किए ठोस साक्ष्य
साक्ष्यों के साथ अदालत में पेश हुए वादी पक्ष के अधिवक्ता विवेक रेंडर ने कहा कि उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए अदालत में ठोस साक्ष्य के साथ याचिका प्रस्तुत की है। यह याचिका सुनवाई के योग्य है अथवा नहीं, इस बात को लेकर आज मस्जिद कमेटी की बहस होगी।
शम्सी शाही मस्जिद का महत्व
शम्सी शाही मस्जिद को बदायूं शहर की सबसे ऊंची इमारत माना जाता है। इसे देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद भी माना जाता है, जिसमें 23,500 लोगों के एक साथ नमाज अदा करने की क्षमता है।
हिंसा का संदर्भ
यह मामला उस समय पर हो रहा है जब 24 नवंबर को संभल में मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हिंसा भड़क गई थी, जिसमें प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी और 25 अन्य घायल हो गए थे।