यह सिर्फ संविधान नहीं, बल्कि देश की 140 करोड़ जनता का अपमान है
लखनऊ, संवाददाता : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संविधान की प्रस्तावना में शामिल “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” जैसे शब्दों को ‘नासूर’ बताए जाने पर प्रदेश कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है। कांग्रेस ने इस बयान को शर्मनाक, असंवैधानिक और संविधान की मूल भावना पर हमला करार दिया है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन डॉ. सीपी राय ने इस बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि, “यह सिर्फ संविधान नहीं, बल्कि देश की 140 करोड़ जनता का अपमान है। 1976 में 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से ये शब्द पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रस्तावना में जोड़े गए थे। ये भारत के सामाजिक न्याय और धार्मिक सहिष्णुता की नींव हैं।”
“पद की गरिमा को किया खंडित”
डॉ. राय ने आरोप लगाया कि देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा इस प्रकार का बयान न केवल उनकी पद की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह बयान उन ताकतों का प्रतिनिधित्व करता है जो संविधान को कमजोर करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब उप राष्ट्रपति धनखड़ ने संविधानिक संस्थाओं पर टिप्पणी की है। इससे पहले उन्होंने अनुच्छेद 142 को लेकर न्यायपालिका पर सवाल उठाए थे। अब प्रस्तावना पर टिप्पणी कर उन्होंने संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला किया है।”
“पद पर रहने का नैतिक अधिकार नहीं”
कांग्रेस नेता ने तीखे शब्दों में कहा कि, “अगर उप राष्ट्रपति को अपने संवैधानिक पद की गरिमा का जरा भी ख्याल नहीं है, तो उन्हें एक पल भी इस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।”
राजनीतिक आरोपों की भी झलक
डॉ. राय ने यह भी आरोप लगाया कि यह बयान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की उस “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश को वैचारिक रूप से विभाजित करना और संविधान की मूल संरचना को कमजोर करना है। कांग्रेस ने उप राष्ट्रपति के बयान को तत्काल वापस लेने और सार्वजनिक माफी की मांग की है। साथ ही, देश के सभी संविधान प्रेमियों से आह्वान किया है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में एकजुट हों।