लखनऊ,संवाददाता : अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस का मुख्य उद्देश्य कमजोर इम्यूनिटी बच्चों में होने वाले कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना और इस जानलेवा बीमारी के खात्मे के लिए प्रयास करना है। अगर कैंसर का इलाज समय पर किया जाए, तो बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। आंकड़े बताते हैं कि 80 प्रतिशत से ज्यादा बाल कैंसर रोगी सफल उपचार के बाद सामान्य जीवन जी रहे हैं।
जयपुर के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के कैंसर विशेषज्ञ, डॉ. उपेन्द्र शर्मा के अनुसार, बच्चों में कैंसर के कई लक्षण होते हैं जैसे भूख न लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना और वजन कम होना। यदि इन लक्षणों का समय पर पता चल जाए और इलाज शुरू किया जाए तो कैंसर को हराया जा सकता है। हालांकि, महंगे इलाज, देर से पहचान और जागरूकता की कमी के कारण इस बीमारी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
कमजोर इम्यूनिटी एक्सपर्ट से जानें, बच्चों में होने वाले आम कैंसर और उनका उपचार
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत शर्मा के मुताबिक, बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं। ये आमतौर पर तेजी से फैलते हैं और इनका इलाज विशेष चिकित्सा पद्धतियों से किया जाता है। कमजोर इम्यूनिटी बच्चों में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर (किडनी कैंसर), रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा (हड्डी का कैंसर) शामिल हैं।
डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में कैंसर के लक्षणों में अत्यधिक थकान, कमजोरी, लगातार बुखार, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण और असामान्य सूजन या गांठ शामिल हैं। यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। हालांकि बच्चों में होने वाले कैंसर का एक स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन आनुवंशिक कारणों, रेडिएशन, प्रदूषण और प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी को इसके संभावित कारण माना जाता है।
ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के अनुसार, भारत में हर साल 26,016 नए कैंसर रोगी पाए जाते हैं, जिनमें से सैकड़ों बच्चे होते हैं। डॉ. उपेन्द्र शर्मा के अनुसार, उनके अस्पताल में बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए दो प्रमुख परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें “जीवनदान परियोजना” के तहत तीन प्रकार के ब्लड कैंसर के बच्चों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। अब तक इस परियोजना में 261 बच्चों को इलाज दिया गया है,
जिनमें से 161 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। इसके अलावा, विल्म्स ट्यूमोर नामक परियोजना के तहत किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा रहा है, जिसमें अब तक 18 बच्चे कैंसर मुक्त हो चुके हैं। इस तरह की पहलें और जागरूकता अभियान बच्चों को कैंसर मुक्त बनाने और उनकी ज़िंदगी बचाने में मददगार साबित हो रहे हैं।