डॉ, उमाशंकर मिश्रा, लखनऊः
भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सावन महीना में रुद्राभिषेक की पूजा का बड़ा महत्व है। रुद्राभिषेक यूं तो कभी भी किया जाए यह बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है। लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुणा होता है। सावन का प्रत्येक दिन प्रत्येक क्षण कभी भी शिवजी का पूजन किया जा सकता है रुद्राभिषेक किया जा सकता है जीवन के प्रत्येक सपना की पूर्ति होगी चाहे नौकरी हो चाहे व्यापार हो चाहे घर में अशांति हो घर में कोई बड़ी बाधा हो रुद्राभिषेक घर में करने से घर के समस्त बाधा का नकारात्मक ऊर्जा का समन हो जाएगा शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है।
रुद्राभिषेक में भगवान शिव का पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है। यह हिंदू धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल तत्काल प्राप्त होता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी दुखों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। सावन माह में रुद्राभिषेक पूजा करवाने से जातक की कुंडली में मौजूद विभिन्न ग्रह दोष शांत होते हैं। रुद्राभिषेक की पूजा प्रशिक्षित पंडितों द्वारा ही करानी चाहिए। यह माह मनोकामना,आकांक्षाओं और मनवांछित फल की पूर्ति का समय होता है। रुद्राभिषेक की पूजा से जीवन के नकारात्मक हालात भी बदल जाते है।
रुद्राभिषेक के शुभ फल :
(1)—घर-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
(2)—शत्रुओं का साया समाप्त होता है।
(3)—समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
(4)—दुखों का अंत होता है।
(5)—लक्ष्मी का वास घर में सदैव बना रहता है।
-इन तिथियों पर कर सकते हैं रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक आप सावन सोमवार,प्रदोष व्रत और शिवरात्रि पर बिना विचार कर सकते हैं, लेकिन हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया,पंचमी,षष्ठी,नवमी,द्वादशी तथा त्रयोदशी तिथिऔर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा,चतुर्थी,पंचमी,अष्ट्मी,एकादशी,द्वादशी तथा अमावस्या तिथि को रुद्राभिषेक करना विशेष सफलता देने वाला एवं मंगलकारी माना जाता है क्योंकि देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं। महादेव कभी माँ गौरी के साथ होते हैं,तो कभी कैलाश पर विराजते हैं,तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो।