29 मई से 12 जून 2025 तक एक विशेष प्रचार अभियान चलाने जा रही है सरकार
नई दिल्ली,संवाददाता : जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आबादी के दबाव के बीच खेती-किसानी के सामने नई चुनौतियां उभर रही हैं। खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, वहीं मौसम की अनिश्चितता और प्राकृतिक संसाधनों की सीमित उपलब्धता कृषि को संकट में डाल रही है। ऐसे में किसानों के हित में सरकार की क्या तैयारी है? इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रिका से खास बातचीत की।
खेती का आधार है बीज: राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन
चौहान ने कहा, “खेती में सबसे अहम भूमिका बीज की होती है। अगर बीज अच्छे होंगे तो फसल भी बेहतर होगी।” इसी सोच के साथ सरकार ने ‘राष्ट्रीय उच्च उपज बीज मिशन’ की शुरुआत की है। इसके तहत उच्च उपज, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-लचीले बीजों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीजों की आपूर्ति डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से सुनिश्चित की जा रही है।
रसायनमुक्त खेती की ओर: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन
कृषि मंत्री ने बताया कि देशभर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है— रसायनमुक्त, जलवायु-स्मार्ट और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना। इसके लिए क्लस्टर मॉडल के माध्यम से स्थानीय पशुधन आधारित जैविक खेती, विविध फसल प्रणाली और जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों की स्थापना की जा रही है।
किसानों से सीधा संवाद: खेतों से निकलेगी नीति
चौहान का मानना है कि कृषि नीति सफल तभी होती है जब वह किसानों की बात सुनकर बनाई जाए। “अगर खेती के लिए काम करना है, तो खेतों में जाना और किसानों से संवाद करना जरूरी है। मेरी कोशिश रहती है कि हर राज्य में जाकर उनकी समस्याएं समझूं,” उन्होंने कहा।
विकसित भारत के लिए विकसित खेती का रोडमैप
मंत्री चौहान ने बताया कि कृषि मंत्रालय का विजन स्पष्ट है—
“विकसित भारत के लिए, विकसित खेती और किसान हमारा।”
इसमें प्रमुख रणनीतियाँ हैं:
- कृषि उत्पादन में वृद्धि
- उत्पादन लागत में कमी
- फसल का उचित मूल्य
- नुकसान की भरपाई
- कृषि का विविधिकरण
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
- धरती का संरक्षण भावी पीढ़ियों के लिए
29 मई से विशेष अभियान: वैज्ञानिक तकनीक सीधे खेत तक
सरकार 29 मई से 12 जून 2025 तक एक विशेष प्रचार अभियान चलाने जा रही है, जो हर साल खरीफ और रबी दोनों सीजन से पहले होगा। इस अभियान के तहत:
- 2,170 विशेषज्ञ टीमों द्वारा
- 65,000 से अधिक गांवों में
- किसानों से सीधा संवाद किया जाएगा।