केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कर रहे हैं भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई
वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि अमेरिका अगले दो से तीन सप्ताह में अपने व्यापारिक साझेदारों के लिए नई टैरिफ दरें निर्धारित करेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके प्रशासन में मैनपावर की कमी के चलते सभी देशों के साथ समय पर सौदा कर पाना मुश्किल हो रहा है।
ट्रंप ने बताया कि टैरिफ दरों की जानकारी संबंधित देशों को अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट और वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक पत्र भेजकर देंगे। ट्रंप ने कहा, “हम निष्पक्ष हैं। 150 देश हमसे डील करना चाहते हैं, लेकिन इतने सारे प्रतिनिधियों से मिलना संभव नहीं है।” इस बीच भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत आज 17 मई से शुरू हो रही है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत इस बातचीत को 8 जुलाई से पहले किसी नतीजे तक पहुंचाना चाहता है।
सूत्रों के अनुसार, भारत की प्राथमिकता देश हित रहेगा, विशेषकर एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर से जुड़े संवेदनशील उत्पादों को लेकर भारत का रुख सख्त रहेगा। भारत पहले ही अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाए जाने को लेकर 13 मई को WTO में मामला उठा चुका है। भारत और अमेरिका के बीच कुछ उत्पादों पर पहले ही बातचीत जारी है। भारत ने इंडस्ट्रियल गुड्स पर ज़ीरो-टू-ज़ीरो टैरिफ का प्रस्ताव दिया है। अमेरिका की तरफ से कृषि उत्पादों, मांस, कारों और बड़े पैमाने पर तेल, गैस और विमान खरीद पर जोर दिए जाने की संभावना है। इस समय ब्रिटेन, जापान, कोरिया, वियतनाम और भारत उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने अमेरिका से टैरिफ वार्ता शुरू कर दी है। अमेरिका का पहला समझौता ब्रिटेन और फिर चीन के साथ हुआ। अब बारी भारत की है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका भारत पर एक “मिनी डील” के लिए दबाव डाल सकता है, जिसमें पूर्ण व्यापार समझौते की बजाय टैरिफ कटौती और बड़े सौदों पर ज़ोर होगा।
ग्लोबल इकोनॉमी पर असर
ब्लूमबर्ग द्वारा बुधवार और गुरुवार को किए गए सर्वे में खुलासा हुआ कि अमेरिका-चीन टैरिफ विवाद का कोई त्वरित समाधान नजर नहीं आ रहा। ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए अधिकांश टैरिफ उनके दूसरे कार्यकाल में भी बने रहने की संभावना है। अमेरिका ने चीन को 90 दिन की अस्थायी राहत दी है, लेकिन यह अस्थायी ही साबित हो सकती है। रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ में हालिया नरमी से वैश्विक बाजारों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन यदि 90 दिन में समझौता नहीं हुआ तो फिर से टैरिफ बढ़ सकते हैं। S&P का मानना है कि अमेरिका की नीतियों में अचानक बदलाव का जोखिम अभी भी बना हुआ है, जो वैश्विक बाज़ारों और अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है। भारत को इस स्थिति से परोक्ष रूप से फायदा मिल सकता है, क्योंकि वैश्विक मांग में सुधार होने पर भारतीय निर्यात (जैसे टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मा) में बढ़ोतरी संभव है।