संपत्ति के नुकसान से राज्य को लगभग 5,000 करोड़ रुपये की क्षति पहुंची है
शिमला,संवाददाता : हिमाचल प्रदेश में मानसून की दस्तक के बाद से प्राकृतिक आपदाओं ने व्यापक तबाही मचाई है। राज्य में पिछले महीने 20 जून को मानसून के आगमन के बाद से बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 37 लोग अब भी लापता हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, अब तक हुई जनहानि और संपत्ति के नुकसान से राज्य को लगभग 5,000 करोड़ रुपये की क्षति पहुंची है।
मंडी सबसे अधिक प्रभावित
राज्य में सबसे अधिक मौतें मंडी जिले में दर्ज की गई हैं, जहाँ मंगलवार को ही बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की 10 घटनाएं सामने आईं। मंडी में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है और 31 लोग लापता हैं। अन्य मौतों में 14 लोग बादल फटने से, 8 लोग बाढ़ में बहने से, 7 लोग डूबने से और 1 व्यक्ति की मौत भूस्खलन की चपेट में आने से हुई है।
बचाव कार्य जारी, कई गांवों से संपर्क कटा
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें सक्रिय रूप से राहत और बचाव कार्यों में लगी हैं। शुक्रवार को ही भारद, देजी, पयाला और रुकचुई गांवों से 65 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। भारी बारिश के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त, नदियाँ उफान पर और कई गांवों का संपर्क टूट गया है। प्रभावित क्षेत्रों में घरों और खेतों में मलबा भर गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़ा नुकसान
- 150 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त
- 106 मवेशी शेड और 31 वाहन क्षतिग्रस्त
- 14 पुल और कई सड़कों को नुकसान
- 164 मवेशियों की मौत
राहत शिविरों में शरण
अब तक 402 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है, जिनमें से 348 लोग मंडी जिले से हैं। सभी के लिए पांच राहत शिविरों की स्थापना की गई है।
परिवहन और बिजली-पानी सेवाएँ बाधित
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार:
- मंडी में 156, सिरमौर में 49 और कुल्लू में 36 सहित कुल 280 सड़कें बंद
- 332 ट्रांसफार्मर बंद
- 784 जलापूर्ति योजनाएँ प्रभावित
मौसम विभाग का अलर्ट
स्थानीय मौसम विभाग ने ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है और शनिवार से मंगलवार तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा की चेतावनी दी है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है।