यह गिरावट न केवल भारत तक सीमित रही, बल्कि एशियाई बाजारों में भी मचा हाहाकार
दिल्ली,संवाददाता : नौ अप्रैल 2025 की सुबह जैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने का ऐलान किया, वैश्विक और भारतीय बाजारों में हलचल मच गई। सुबह 9:31 बजे से भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ प्रभावी हो गया, जिसके तहत अब अमेरिका को निर्यात होने वाले हर भारतीय सामान पर यह शुल्क लागू होगा। इस फैसले ने न केवल भारत के निर्यात क्षेत्र को प्रभावित करने की आशंका पैदा की, बल्कि शेयर बाजारों में भी तगड़ा झटका दिया।
शुरुआती कारोबार में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 300 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया, वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी लाल निशान पर कारोबार करता नजर आया। यह गिरावट न केवल भारत तक सीमित रही, बल्कि एशियाई बाजारों में भी हाहाकार मच गया।
ट्रंप के इस टैरिफ का असर वैश्विक स्तर पर भी साफ दिखाई दे रहा है। चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ के ऐलान ने ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है। बीते दिन, 8 अप्रैल को अमेरिकी बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुए थे, और इसका असर आज एशिया में देखने को मिला। जापान का Nikkei 225, दक्षिण कोरिया का KOSPI और हांगकांग का हैंग सेंग सूचकांक लाल निशान पर खुले। हालांकि, चीन का शंघाई कंपोजिट सूचकांक शुरुआती तेजी के साथ कुछ राहत देता नजर आया। भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले सामानों पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगने से इनकी कीमतों में बढ़ोतरी तय है। इससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ सकता है, खासकर उन देशों की तुलना में जिन पर ट्रंप ने कम टैरिफ लगाया है। भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण, ऑटोमोबाइल, और टेक्सटाइल इस टैरिफ से सीधे प्रभावित होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के निर्यात में कमी आ सकती है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भी पड़ सकता है। हालांकि, कुछ का यह भी कहना है कि भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है, खासकर तब जब चीन जैसे बड़े प्रतिस्पर्धी देशों पर कहीं ज्यादा 104 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है।
डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप जैसे आयोजनों ने दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी को दुनिया के सामने रखा। लेकिन ट्रंप ने कई बार भारत को “टैरिफ किंग” कहकर आलोचना भी की है। उनका तर्क है कि भारत अमेरिकी सामानों पर बहुत अधिक टैरिफ लगाता है, जिसे वे “ब्रूटल” मानते हैं। ट्रंप का कहना है कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा करीब 45 अरब डॉलर का है, और इसे कम करने के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ जरूरी है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के आंकड़े इस दावे को कुछ हद तक सही ठहराते हैं। भारत में औसत टैरिफ 17 प्रतिशत है, जो अमेरिका के 3.3 प्रतिशत की तुलना में कहीं ज्यादा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, खाने-पीने के सामान, मांस और प्रोसेस्ड फूड पर भारत 37.66 प्रतिशत टैरिफ वसूलता है, जबकि अमेरिका में भारत से इन पर सिर्फ 5.29 प्रतिशत टैरिफ लिया जाता था। ऑटोमोबाइल पर भारत 24.14 प्रतिशत और अमेरिका 1.05 प्रतिशत टैरिफ लगाता है। शराब पर भारत का टैरिफ 124.58 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में यह 2.49 प्रतिशत ही है। दूसरी ओर, सिगरेट और तंबाकू पर अमेरिका 201.15 प्रतिशत टैरिफ वसूलता है, जबकि भारत में यह 33 प्रतिशत है। ट्रंप का मानना है कि इन असमानताओं को खत्म करने के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ जरूरी है।