यह दावा एक स्टडी में किया गया, रिपोर्ट पर्यावरण अनुसंधान संगठन ने तैयार की
लखनऊः चीनी और नमक खाने वाले सावधान हो जाएं। दोनों के पैकेट में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद मिला है, जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। हम आपको डरा नहीं, बल्कि सावधान कर रहे हैं। ये ब्रांड चाहे छोटे या बड़े हों और चाहे पैक किए गए हों या बिना पैक किए गए हों, सबमें माइक्राप्लास्टिक मिले हैं। ये दावा मंगलवार को प्रकाशित एक स्टडी में किया गया है।’माइक्रोप्लास्टिक्स इन सॉल्ट एंड शुगर’ नाम की स्टडी को टॉक्सिक्स लिंक नाम के पर्यावरण अनुसंधान संगठन ने तैयार किया है। इस संगठन ने टेबल सॉल्ट, रॉक सॉल्ट, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चे नमक सहित कुल दस प्रकार के नमक के नमूने लिए। ऑनलाइन तथा स्थानीय बाजारों से खरीदी गई पांच प्रकार की चीनी का टेस्ट करने के बाद इस स्टडी को पेश किया है। माइक्रोप्लास्टिक में छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं, जिनका आकार पांच मिलीमीटर से कम होता है।
फाइबर, पेलेट्स और फ्रैगमेंट्स के रूप में मिले माइक्रोप्लास्टिक्स अध्ययन में सामने आया है कि नमक और चीनी के सभी नमूनों में अलग-अलग तरह के माइक्रोप्लास्टिक्स शामिल थे। जैसे कि फाइबर, पेलेट्स, फिल्म्स और फ्रैगमेंट्स। इन माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी के बीच पाया गया। सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा आयोडीन युक्त नमक में पाई गई, जो मल्टीकलर के पतले फाइबर और फिल्म्स के रूप में थे।
आयोडीन नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा सबसे अधिकः
नमक के नमूनों में प्रति किलोग्राम माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 6.71 से 89.15 टुकड़े तक पाई गई। आयोडीन वाले नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की सबसे अधिक मात्रा (89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम) और ऑर्गेनिक रॉक सॉल्ट में सबसे कम (6.70 टुकड़े प्रति किलोग्राम) पाई गई।
गैर-ऑर्गेनिक चीनी में सबसे अधिक मात्रा पाई गईः
चीनी के नमूनों में, माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक पाई गई, जिसमें सबसे अधिक मात्रा गैर-ऑर्गेनिक चीनी में पाई गई।