चन्द्रमा पृथ्वी के निकटतम ग्रह होने के कारण इसकी चाल तेज होती है
डॉ. उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का उपग्रह है। जिस प्रकार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, उसी प्रकार चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह सदैव अपनी एक दिशा पृथ्वी की ओर रखते हुए अण्डाकार कक्षा में घूमता है और पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी है।
चन्द्रमा की राशि और बल
चन्द्रमा कर्क लग्न और कर्क राशि का स्वामी है, जिसमें यह स्वगृही कहलाता है।
- वृष राशि में 3 अंश तक यह परम-उच्च स्थिति में रहता है।
- वृष राशि में 4° से 30° तक यह मूल त्रिकोणी कहलाता है।
- वृश्चिक राशि में यह नीच का ग्रह बनता है, विशेषकर पहले 3 अंश तक।
अन्य ग्रहों से संबंध
- मित्र ग्रह: सूर्य, बुध
- सम ग्रह: मंगल, बृहस्पति, शुक्र, शनि
- गुप्त शत्रु: बुध
- राहु और केतु से ग्रसित होने पर यह पापग्रस्त कहलाता है।
विभिन्न लग्नों पर प्रभाव
- मिथुन लग्न: मुख्य मारक
- मकर लग्न: द्वितीय मारक
- कर्क लग्न: अत्यंत शुभ
- तुला, वृश्चिक और मीन लग्न: योगकारक
गोचर और दशा में प्रभाव
चन्द्रमा पृथ्वी के निकटतम ग्रह होने के कारण इसकी चाल तेज होती है। इसका गोचर प्रभाव तत्काल शरीर व मन पर पड़ता है। विंशोत्तरी दशा के अनुसार इसकी दशा 10 वर्षों की होती है।
चन्द्रमा का कारकत्व
- स्त्रीत्व, वात्सल्य, रस, माता, सौंदर्य और मन का कारक ग्रह
- मनोविचारों, कल्पना, भावना और स्वप्न शक्ति का केंद्र
- ऋग्वेदानुसार चन्द्रमा मन का अधिष्ठाता
- यह औषधीय गुणों वाला ग्रह माना गया है, चन्द्र किरणों से औषधियाँ पुष्ट होती हैं
- समुद्र के ज्वार-भाटा व शरीर के जलतत्व पर प्रभाव डालता है
चन्द्रमा से संबंधित रोग
- जलजन्य रोग: निमोनिया, दमा, पांडु, खांसी, सर्दी, जुखाम
- मानसिक रोग: पागलपन, अवसाद
- स्त्री रोग: मासिक धर्म संबंधी विकार
- अंग विशेष: हृदय, रक्तप्रवाह, बायाँ नेत्र
- कैंसर, टी.बी., साइटिका जैसे रोगों से संबंध
चन्द्रमा की बल-स्थिति
- पूर्ण बल में: शुभ फलदायक
- क्षीण स्थिति में: अशुभ फलदायक
- शुक्ल पक्ष अष्टमी से कृष्ण पक्ष सप्तमी तक: पूर्ण बली
- कृष्ण अष्टमी से शुक्ल सप्तमी तक: क्षीण
विशेषता
- दिशा: पश्चिमोत्तर
- रंग: श्वेत
- रत्न: मोती
- धातु: चांदी
- प्रकृति: द्विस्वभाव — कभी शुभ, कभी अशुभ
चन्द्रबली व्यक्तित्व की विशेषताएं
- गौर वर्ण, सुंदर नेत्र, मृदु वाणी, भावुक स्वभाव
- बुद्धिमान, योजनाकार, कुशल राजनीतिज्ञ
- उच्च स्थिति में: धनी, सुखी, अलंकारप्रिय
- मित्रगृही: उन्नतिशील और समृद्ध
- नीचगृही: धर्मबुद्धि का ह्रास, दु:खदायक
- शत्रुगृही: माता का स्नेह और वाहन सुख में बाधा
चन्द्र योग और विशेष फल
- चन्द्र + शनि / राहु: नशे की प्रवृत्ति
- चन्द्र + मंगल: प्रसिद्ध चन्द्रमंगल योग (कैंसर योग भी)
- चन्द्र + बुध: माता से मतभेद या दूरी
- चर राशि (मेष, कर्क, तुला, मकर) में चन्द्रमा: चंचलता, भ्रमणशील व्यवसाय, ध्यान में असफलता
चन्द्रमा को प्रसन्न करने के उपाय
- मोती युक्त चन्द्र ताबीज काले धागे में अभिमंत्रित कर बच्चों को पहनाना (विशेषकर बालारिष्ट योग में)
- नित्य शिवलिंग पर दूध चढ़ाना
- शिव मानस पूजन या चंद्रशेखर अष्टक का पाठ
- सोमवार का व्रत — 5, 11 या 43 बार
- घर की बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद प्राप्त करना
- रजक, कृषक, जलचर प्राणी, खरगोश, हरिण, सारस, चकोर आदि का संरक्षण व सेवा