स्वस्तिक में चार समान लंबाई की रेखाएँ होती हैं, जो पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की दिशाओं को दर्शाती हैं
डॉ उमाशंकर मिश्र,संवाददाता : स्वस्तिक हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शुभ प्रतीक है, जिसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, मांगलिक कार्यों और दैनिक जीवन में समृद्धि, सुख और शुभता को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। स्वस्तिक शब्द संस्कृत के ‘सु’ (शुभ) और ‘अस्ति’ (होना) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ ‘शुभता’ या ‘कल्याण’ होता है।
स्वस्तिक का रूप और अर्थ:
- चार दिशाओं का प्रतीक: स्वस्तिक में चार समान लंबाई की रेखाएँ होती हैं, जो पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की दिशाओं को दर्शाती हैं।
- चार वेदों का प्रतीक: इन चार रेखाओं को ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
- भगवान ब्रह्मा के चार सिर: कुछ मान्यताओं के अनुसार, स्वस्तिक की चार रेखाएँ भगवान ब्रह्मा के चार सिरों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- पंचांग और पंचतत्त्व: स्वस्तिक का मध्य बिंदु पंचतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और पंचांग (पंचांग के पांच अंग) का प्रतीक माना जाता है।
स्वस्तिक का उपयोग और महत्व:
- धार्मिक अनुष्ठान: स्वस्तिक का चित्रण घर के मुख्य द्वार, मंदिरों में और धार्मिक पुस्तकों पर किया जाता है, जिससे शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
- वास्तु शास्त्र में: स्वस्तिक को घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने के लिए वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाने से घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
- उपाय और टोटके: स्वस्तिक के माध्यम से विभिन्न वास्तु दोष दूर करने, व्यापार में वृद्धि, और मानसिक शांति के लिए कई उपाय किए जाते हैं, जैसे घर के ईशान कोण में स्वस्तिक बनाना या पूजा स्थान पर स्वस्तिक का चित्र रखना।
अन्य धर्मों में स्वस्तिक का स्थान:
- बौद्ध धर्म: स्वस्तिक को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान बुद्ध के चरण चिह्नों का प्रतिनिधित्व करता है।
- जैन धर्म: यह सातवें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ का प्रतीक है और अष्ट मंगल का मुख्य चिन्ह है।
- ईसाई धर्म: प्रारंभिक ईसाई कला में स्वस्तिक का उपयोग किया गया है, जहाँ इसे ‘गम्मेडियन क्रॉस’ कहा जाता था।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
स्वस्तिक का आकार और रूप ब्रह्मांडीय ऊर्जा और चक्रीय गति का प्रतीक है, जो जीवन के निरंतर परिवर्तन और पुनर्जन्म को दर्शाता है। स्वस्तिक का प्रतीक विश्वभर में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में पाया जाता है, लेकिन इसके अर्थ और उपयोग में भिन्नताएँ हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, नाजी जर्मनी में स्वस्तिक का उपयोग नफरत और हिंसा के प्रतीक के रूप में किया गया था, जो इसके पारंपरिक शुभ अर्थों से बिल्कुल विपरीत था। स्वस्तिक का वास्तविक महत्व और उपयोग उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भों में समझा जाना चाहिए, जो शुभता, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है।