वट वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें, सूत लपेटें और जल अर्पित करें
डॉ उमाशंकर मिश्रा,लखनऊ : वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को किया जाता है। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं और उसके चारों ओर धागा बांधकर पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस दिन सती सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने और पढ़ने का विशेष पुण्य होता है।
अमावस्या तिथि
- प्रारंभ: 26 मई 2025, सोमवार, प्रातः 10:54 बजे
- समाप्ति: 27 मई 2025, मंगलवार, प्रातः 08:32 बजे तक
इसलिए व्रत की पूजा 26 मई को की जाएगी।
पूजा के शुभ मुहूर्त (26 मई 2025):
- प्रातः काल मुहूर्त: सुबह 04:00 बजे से 09:00 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:51 बजे से 12:46 बजे तक
- संध्याकाल मुहूर्त: शाम 06:00 बजे से रात 08:30 बजे तक
वट सावित्री व्रत की पूजन विधि:
- प्रातः स्नान कर घर की सफाई करें और पवित्र जल से शुद्धिकरण करें।
- बांस की टोकरी में सप्त धान्य (सात प्रकार के अनाज) भरकर ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करें।
- ब्रह्मा के बाएं ओर सावित्री जी की प्रतिमा रखें।
- दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियाँ रखें और इन्हें वटवृक्ष के नीचे ले जाएं।
- वहां ब्रह्मा, सावित्री, सत्यवान का विधिवत पूजन करें।
सावित्री को अर्घ्य देने का श्लोक:
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।
वट वृक्ष की प्रार्थना का श्लोक:
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।
- पूजा में जल, मौली, रोली, चना, फूल, धूप आदि का उपयोग करें।
- वट वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें, सूत लपेटें और जल अर्पित करें।
- बड़ के पत्तों के आभूषण धारण करें और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।
- चनों का बायना निकालकर नकद रूपए सहित सासु माँ के चरण स्पर्श करें।
- पूजा के बाद सुहागिन स्त्रियों को पान, सिन्दूर, कुमकुम से पूजन कर “सौभाग्य पिटारी” दें।
- ब्राह्मणों को वस्त्र, फल आदि दान करें।
व्रत का संकल्प मंत्र:
मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं
सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।