ज्योतिष आचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
दिनांक – 31 अक्टूबर 2025
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत 2082
शक संवत – 1947
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – दशमी (आज प्रातः 4:41 से शुरू होकर के कल सुबह 4:02 तक, तत्पश्चात एकादशी)
नक्षत्र – धनिष्ठा (दोपहर 2:54 तक, तत्पश्चात शतभिषा)
योग – वृद्धि (रात्रि 2:48 तक, तत्पश्चात ध्रुव)
राहुकाल – सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक
सूर्योदय – सुबह 6:28
सूर्यास्त – संध्या समय 5:32
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण : आज दशमी तिथि है। पूरा दिन और पूरी रात्रि दशमी तिथि का प्रभाव रहेगा।
विशेष : आज “त्रिस्पृशा का महायोग” है, जो हजार एकादशियों के बराबर फल देता है।
31 अक्टूबर, शुक्रवार की रात 4:02 से एकादशी व्रत शुरू होगा। 1 नवंबर, शनिवार को एकादशी व्रत (उपवास) रखें। 2 नवम्बर, रविवार को प्रातः 8:00 बजे से 11:00 बजे तक पारण करें। त्रिस्पृशा एकादशी के व्रत से ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं और यह व्रत समस्त पापों का शमन करता है।
अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु विशेष आरती 1 नवम्बर 2025, शनिवार को देवउठी एकादशी के दिन कपूर आरती करें। इससे अकाल मृत्यु से रक्षा होती है और अन्य संकटों से भी मुक्ति मिलती है। भीष्म पंचक व्रत 30 नवम्बर 2025 से 4 नवम्बर 2025 तक भीष्म पंचक व्रत रहेगा।यह व्रत महापातकों का नाश करने वाला और पुण्य देने वाला माना जाता है। इस व्रत में अन्न का त्याग कर कंदमूल, फल, दूध आदि का सेवन करें।
भीष्म जी को अर्घ्य-तर्पण देने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें। व्रत विधि देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को जगाने के लिए विशेष मंत्र का उच्चारण करें: “उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज, उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु” इस दिन से लेकर पूर्णिमा तक भीष्म पंचक व्रत का पालन करें।
 
			 
		     
                                






















