ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
दिनांक: 28 मार्च 2025
दिन: शुक्रवार
विक्रम संवत: 2081
शक संवत: 1946
अयन: उत्तरायण
ऋतु: वसंत ऋतु
मास: चैत्र
पक्ष: कृष्ण
तिथि: चतुर्दशी (शाम 06:43 तक, तत्पश्चात अमावस्या)
नक्षत्र: पूर्वभाद्रपद (रात्रि 09:18 तक, तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद)
योग: शुक्ल (रात्रि 01:42 तक, तत्पश्चात ब्रह्म)
राहुकाल: सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक
सूर्योदय: 05:55
सूर्यास्त: 06:05
दिशाशूल: पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण: पंचक
विशेष: चतुर्दशी व अमावस्या
नवरात्रि पूजन विधि
नवरात्रि प्रारंभ: 30 मार्च 2025, रविवार से
पूजा विधि:
- नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरूप की पूजा की जाती है।
- कलश स्थापना विधि:
- शुभ मुहूर्त: 30 मार्च 2025 (सुबह 06:00 से 10:40 तक), अभिजीत मुहूर्त (12:19 से 01:08 तक)
- कलश में शुद्ध जल, गंगाजल, सूंठ, दूर्वा, पंचरत्न, सिक्के, तथा अशोक/आम के पत्ते रखें।
- नारियल पर लाल कपड़ा लपेटें और कलश पर रखें।
विशेष पूजा सामग्री:
- जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, कलश, गंगाजल, इत्र, सुपारी, दूर्वा, सिक्के, पंचरत्न, अशोक या आम के पत्ते, नारियल आदि।
नवरात्रि के दौरान:
- प्रतिदिन माँ दुर्गा की पूजा, दीपक जलाना, इत्र अर्पित करना।
- विशेष भोग अर्पित करना, कन्या पूजन का विशेष महत्व।
नवरात्रि में विशेष पूजन सामग्री:
- पान, गुलाब की 7 पंखुड़ियां, घी का दीपक, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, सुपारी, कर्पूर आदि।
अष्टमी पूजन:
- यदि नवरात्रि में प्रतिदिन पूजा संभव नहीं हो, तो अष्टमी तिथि को विशेष पूजा करें।
- महाभयानक भगवती भद्रकाली का पूजन इस दिन विशेष फलदायक होता है।