ज्योतिषाचार्य डॉक्टर उमाशंकर मिश्र
दिनांक: 26 फरवरी 2025, बुधवार
विक्रम संवत: 2081
शक संवत: 1946
ऋतु: वसंत ॠतु
मास: फाल्गुन
पक्ष: कृष्ण
तिथि: त्रयोदशी सुबह 9:19 तक, तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र: श्रवण शाम 4:10 तक, तत्पश्चात धनिष्ठा
योग: परिघ रात्रि 2:26 तक, तत्पश्चात शिव
राहुकाल: दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
सूर्योदय: सुबह 6:17
सूर्यास्त: संध्या 5:45
दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण – महाशिवरात्रि
आज (26 फरवरी, बुधवार) महाशिवरात्रि का पावन पर्व है, जो भगवान शिव की उपासना का विशेष दिन है। इस दिन पूजा-पाठ, जाप, अनुष्ठान, और दान का महत्व अत्यधिक होता है।
शिवलिंग पर अभिषेक का महत्व:
शिवलिंग के अभिषेक से प्राप्त होने वाले विभिन्न लाभों का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है:
- सोने का शिवलिंग: सत्यलोक की प्राप्ति।
- मोती का शिवलिंग: रोगों का नाश।
- हीरे का शिवलिंग: दीर्घायु।
- पुखराज का शिवलिंग: धन-लक्ष्मी की प्राप्ति।
- स्फटिक का शिवलिंग: सभी कामनाओं की पूर्ति।
- नीलम का शिवलिंग: सम्मान की प्राप्ति।
- चांदी का शिवलिंग: पितरों की मुक्ति।
- तांबे का शिवलिंग: लंबी आयु।
- लोहे का शिवलिंग: शत्रुओं का नाश।
- आटे का शिवलिंग: रोगों से मुक्ति।
- मक्खन का शिवलिंग: सभी सुखों की प्राप्ति।
- गुड़ का शिवलिंग: अन्न की प्राप्ति।
कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय:
महाशिवरात्रि पर विशेष उपायों से कालसर्प दोष के प्रभाव से राहत मिल सकती है। 12 प्रकार के कालसर्प दोषों के लिए अलग-अलग उपाय किए जा सकते हैं:
- अनन्त कालसर्प दोष: एकमुखी या आठमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- कुलिक कालसर्प दोष: चांदी की गोली पूजा करें।
- वासुकि कालसर्प दोष: बाजरा पक्षियों को खिलाएं।
- शंखपाल कालसर्प दोष: साबुत बादाम जल में प्रवाहित करें।
- पद्म कालसर्प दोष: सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
- महापद्म कालसर्प दोष: सुंदरकांड का पाठ करें।
- तक्षक कालसर्प दोष: नारियल जल में प्रवाहित करें।
- कर्कोटक कालसर्प दोष: बटुकभैरव की पूजा करें।
- शंखचूड़ कालसर्प दोष: जौ रखें और पक्षियों को खिलाएं।
- घातक कालसर्प दोष: पीतल के बर्तन में गंगाजल रखें।
- विषधर कालसर्प दोष: नारियल जल में प्रवाहित करें।
- शेषनाग कालसर्प दोष: बताशे व सफेद फूल जल में प्रवाहित करें।
विशेष संकेत:
महाशिवरात्रि के दिन विशेष उपाय करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का वास होता है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और कालसर्प दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी है।