ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
दिनांक – 04 अक्टूबर 2024
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वितीया रात्रि 3:09 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र – चित्रा शाम 05:52 तक तत्पश्चात स्वाति
योग – वैधृति प्रातः 05:34 अक्टूबर 05 तक तत्पश्चात विषकम्भ
राहु काल – प्रातः 10:30 से दोपहर 12:00 तक
सूर्योदय – 06:07 सूर्यास्त – 05:53
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:55 से 05:44 तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:04 से दोपहर 12:52 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:04 अक्टूबर 05 से रात्रि 12:53 अक्टूबर 05 तक
व्रत पर्व विवरण – , द्वितीय नवरात्रि
विशेष – द्वितीया
शारदीय नवरात्रि 3 से 11 अक्टूबर :
श्रीमद् देवी भागवत’ के तीसरे स्कंध में महर्षि वेदव्यासजी जनमेजय को नवरात्रि का महात्म्य बताते हुए कहते हैं :
6-6 मास में नवरात्रि आती है । शारदीय नवरात्र रावण-वध की तिथि के पहले आते हैं और दूसरे नवरात्र आते हैं वसंत ऋतु में राम जी के प्राकट्य के पहले । ये दोनों ऋतुएँ बड़ी क्रूर हैं । ये रोग उत्पन्न करने वाली हैं । इन दिनों में व्यक्ति अगर नवरात्रि का व्रत और उपवास नहीं करता तो वह आगे चल के बड़ी-बड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है अथवा अभी भी बीमारियों में वह भुन जायेगा ।
अगर नवरात्रि व्रत रखता है, भगवती की आराधना करता है तो आराधना की पुण्याई व प्रसन्नता से मनोरथ भी पूरे होते हैं और शरीर में जो विजातीय द्रव्य हैं, उपवास और विश्रांति उन रोगकारक द्रव्यों को भस्म कर देती है । नवरात्रि के उपवास से शरीर के जीर्ण-शीर्ण रोग और रोग लाने वाले कण ये सब नष्ट हो जाते हैं, पाप दूर होते हैं, मन प्रसन्न होता है, बुद्धि का औदार्य व तितिक्षा का गुण बढ़ता है और नारकीय योनियों से छुटकारा मिलता है ।