ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: दक्षिणायन
- ऋतु: वर्षा ऋतु
- मास: आषाढ़
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: प्रतिपदा दोपहर 2:21 तक, तत्पश्चात द्वितीया
- नक्षत्र: आर्द्रा (प्रात: 10:11 तक), तत्पश्चात पुनर्वसु
- योग: ध्रुव (रात्रि 2:06 तक), तत्पश्चात व्याघात
- सूर्योदय: प्रात: 5:13
- सूर्यास्त: संध्या 6:47
- राहुकाल: दोपहर 1:30 से 3:00 तक
- दिशाशूल: दक्षिण दिशा में
- व्रत/पर्व: गुप्त नवरात्रि का प्रथम दिन
- विशेष: आज प्रतिपदा तिथि है
गुप्त नवरात्रि प्रारंभ – साधना और सिद्धि का विशेष काल
26 जून गुरुवार से आषाढ़ शुक्ल पक्ष की गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो चुकी है, जो 4 जुलाई शुक्रवार तक मनाई जाएगी। यह नौ दिन की साधना अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इन दिनों देवी के विभिन्न रूपों की आराधना तथा विशिष्ट भोग अर्पण से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
नवरात्रि में तिथि अनुसार देवी को अर्पित किए जाने वाले भोग:
- प्रतिपदा – घी का भोग: रोग मुक्ति व आरोग्यता
- द्वितीया – शक्कर का भोग: दीर्घायु
- तृतीया – दूध का भोग: दुःख से मुक्ति
- चतुर्थी – मालपुआ का भोग: समस्याओं का समाधान
- पंचमी – केला का भोग: पारिवारिक सुख-शांति
- षष्ठी – शहद का भोग: आर्थिक लाभ
- सप्तमी – गुड़ का भोग: मनोकामना सिद्धि
- अष्टमी – नारियल का भोग: घर में सुख-समृद्धि
- नवमी – विभिन्न अनाज का भोग: वैभव व कीर्ति
गुप्त नवरात्रि के विशेष उपाय
1. धन प्राप्ति हेतु:
प्रात: स्नानादि के पश्चात उत्तर दिशा की ओर मुख कर पीले आसन पर बैठें। सामने तेल के नौ दीपक जलाएं। लाल चावल की ढेरी पर श्रीयंत्र स्थापित करें। कुमकुम, पुष्प, धूप-दीप से पूजन करें। एक थाली में स्वस्तिक बनाकर उसका भी पूजन करें। श्रीयंत्र को पूजास्थल में स्थापित करें तथा अन्य सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें।
2. शीघ्र विवाह के लिए:
पूजास्थल में शिव-पार्वती का चित्र रखें। उनकी पूजा के पश्चात निम्न मंत्र की 3, 5 या 10 माला जप करें:
“ऊं शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप-विध्वंसनाय,
पुरुषार्थ-चतुष्टय-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।”
जप के पश्चात विवाह में आ रही बाधाओं की निवृत्ति हेतु प्रार्थना करें।
3. मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए:
शिव मंदिर जाकर शिव-पार्वती पर जल व दूध चढ़ाएं। पंचोपचार पूजन करें। फिर मौली (लाल धागा) से दोनों की मूर्तियों का विवाह गठबंधन करें। लाल चंदन की माला से निम्न मंत्र का 108 बार जप करें:
“हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।”
यह जप तीन माह तक प्रति दिन करें। साथ ही घर में भी पंचोपचार पूजन करें।