ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र
पंचांग विवरण:
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: उत्तरायण
- ऋतु: ग्रीष्म ऋतु
- मास: ज्येष्ठ
- पक्ष: कृष्ण पक्ष
- तिथि: द्वादशी (शाम 3:49 तक), तत्पश्चात त्रयोदशी
- नक्षत्र: रेवती (प्रातः 10:38 तक), तत्पश्चात अश्विनी
- योग: आयुष्मान (दोपहर 12:23 तक), तत्पश्चात सौभाग्य
- राहुकाल: प्रातः 9:00 से 10:30 तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:19 बजे
- सूर्यास्त: संध्या 6:41 बजे
- दिशाशूल: पश्चिम दिशा में
व्रत/पर्व विशेष: आज शनिप्रदोष व्रत है। द्वादशी तिथि 3:49 तक है, उसके बाद त्रयोदशी आरंभ होती है। चूंकि संध्या समय त्रयोदशी है, इसलिए आज ही शनि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत कर्जमुक्ति और शनि दोष निवारण के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
मासिक शिवरात्रि – 25 मई 2025 (रविवार) : इस दिन सूर्यास्त के समय घर में अथवा शिव मंदिर में बैठकर शिवजी का स्मरण करते हुए निम्नलिखित 17 मंत्रों का जप करें। जिनके ऊपर कर्ज अधिक हो, वे दीप जलाकर मंदिर में यह मंत्र जप करें:
- ॐ शिवाय नमः
- ॐ सर्वात्मने नमः
- ॐ त्रिनेत्राय नमः
- ॐ हराय नमः
- ॐ इन्द्रमुखाय नमः
- ॐ श्रीकंठाय नमः
- ॐ सद्योजाताय नमः
- ॐ वामदेवाय नमः
- ॐ अघोरह्र्द्याय नमः
- ॐ तत्पुरुषाय नमः
- ॐ ईशानाय नमः
- ॐ अनंतधर्माय नमः
- ॐ ज्ञानभूताय नमः
- ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
- ॐ प्रधानाय नमः
- ॐ व्योमात्मने नमः
- ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नमः
रात्रि 12 बजे के बाद जागरण कर एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।
सोमवती अमावस्या – 26 मई 2025 (सोमवार) : प्रातः 10:54 से आरंभ होकर 27 मई को प्रातः 8:32 तक सोमवती अमावस्या है।
विशेष अनुष्ठान:
- प्रातः स्नान कर मौन व्रत धारण करें
- पीपल की 108 परिक्रमा करें और प्रार्थना करें:
“हे वृक्षराज! आपकी जड़ में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शिखर में शिव विराजमान हैं, कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें और मेरे पापों का हरण करें।” - तुलसी की 108 परिक्रमा करें और प्रार्थना करें:
“हे तुलसी माता! कृपया मेरे घर की दरिद्रता और कष्ट दूर करें।”
महत्वपूर्ण टिप्स:
- सोमवती अमावस्या को किया गया जप, सूर्यग्रहण में किए गए जप के समान 10 लाख गुना फलदायी माना गया है।
- इस दिन हरि नाम का जप, तुलसी पूजन और शिव उपासना अत्यंत पुण्यकारी है।
- यह दिन आर्थिक उन्नति, बुद्धि-वृद्धि और पुण्य संचय के लिए विशेष है।