ज्योतिष आचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
दिनांक: 23 अगस्त 2025, शनिवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: शरद
मास: भाद्रपद
पक्ष: कृष्ण
तिथि: अमावस्या प्रातः 11:07 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र: मूल रात्रि 1:33 तक, तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग: परिघ सायं 3:04 तक, तत्पश्चात शिव
सूर्योदय: प्रातः 5:37 बजे
सूर्यास्त: संध्या 6:23 बजे
राहुकाल: प्रातः 9:00 से 10:30 बजे तक
दिशा शूल: पूर्व दिशा
व्रत एवं पर्व: भाद्रपद अमावस्या – पितृ पूजन एवं शनि पूजा के लिए विशेष महत्व।
धार्मिक महत्व व अनुष्ठान:
- शनिवार को पीपल वृक्ष का स्पर्श करें व “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- पीपल की जड़ में जल अर्पण व दीपदान करें – शनि दोष और ग्रहबाधा से राहत मिलेगी।
- ब्रह्म पुराण के अनुसार, शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।
- अमावस्या को दूसरों का अन्न न खाएं – इसका पुण्य अन्नदाता को प्राप्त होता है (स्कंद पुराण)।
- खेतिहर लोग अमावस्या को खेती के कार्य न करें – यह दिन विश्राम व जप के लिए उत्तम है।
- गीता का 7वां अध्याय पढ़ें एवं उसका पुण्य पितरों को अर्पित करें।
आज का राशिफल – 23 अगस्त 2025 (शनिवार)
मेष: धार्मिक कार्य होंगे, माता-पिता का सहयोग मिलेगा। रोजगार और व्यापार में प्रगति।
वृष: यात्रा के योग हैं। परिवार पर खर्च संभव। प्रतिष्ठा में वृद्धि व शत्रु पर विजय प्राप्त होगी।
मिथुन: पारिवारिक सामंजस्य बना रहेगा। शिक्षा में बाधा संभव। आर्थिक स्थिति थोड़ी कमजोर हो सकती है।
कर्क: स्वास्थ्य में गिरावट, मानसिक तनाव की संभावना। साझेदारी से लाभ मिलेगा।
सिंह: परिवार में प्रसन्नता। धन लाभ, मानसिक शांति व कार्यों में सफलता मिलेगी।
कन्या: नौकरी व व्यापार में उन्नति। दाम्पत्य सुख की प्राप्ति व आर्थिक लाभ।
तुला: धार्मिक कार्य होंगे। पराक्रम में वृद्धि। यात्रा व घरेलू खर्च की संभावना।
वृश्चिक: कारोबार में सहयोग, धन व शिक्षा पर खर्च। परिवार में हल्की समस्याएं।
धनु: व्यापारिक लाभ। शिक्षा से लाभ। मेहनत अधिक करनी पडे़गी, पर लाभ सुनिश्चित।
मकर: मानसिक परेशानी, स्वास्थ्य बाधा। दांपत्य जीवन में कष्ट संभव। कार्य में विलंब।
कुंभ: व्यय की अधिकता, परंतु राजकार्य व शिक्षा में लाभ। यात्रा में कष्ट हो सकता है।
मीन: व्यापार में विस्तार, मित्रों का सहयोग, नई योजनाओं की शुरुआत संभव।
विशेष निर्देश:
- भाद्रपद अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन विशेष पूजा और तप का फल प्राप्त होता है।
- अमावस्या के दिन सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों की शांति हेतु प्रार्थना करें।