ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
पंचांग विवरण:
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: उत्तरायण
- ऋतु: ग्रीष्म
- मास: ज्येष्ठ
- पक्ष: कृष्ण
- तिथि: दशमी रात्रि 8:24 तक, तत्पश्चात एकादशी
- नक्षत्र: पूर्वभाद्रपद दोपहर 1:34 तक, तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
- योग: विष्कंभ संध्या 6:11 तक, तत्पश्चात प्रीति
- राहुकाल: दोपहर 1:30 से सायं 3:00 तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:20
- सूर्यास्त: सायं 6:40
- दिशाशूल: उत्तर दिशा में
- पर्व: पंचक प्रारंभ
आगामी विशेष पर्व: 26 मई को शनि जयंती – इस दिन विशेष उपायों से शनि दोष एवं साढ़ेसाती के कुप्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है।
एकादशी व्रत का महत्व (23 मई, शुक्रवार को एकादशी व्रत)
22 मई की रात्रि 8:24 से लेकर 23 मई संध्या 6:10 तक एकादशी है। इस व्रत का विशेष धार्मिक महत्त्व है।
व्रत के लाभ:
- एकादशी व्रत से प्राप्त पुण्य सूर्यग्रहण में दान से कई गुना अधिक होता है।
- गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से अधिक पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
- पूर्वजों को मोक्ष मिलता है, और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- धन-संपत्ति, संतान सुख, यश एवं भक्ति में वृद्धि होती है।
- सात जन्मों के पाप समाप्त होते हैं।
- भगवान शिव ने नारद को कहा – एकादशी व्रत से असंख्य गुणा पुण्य प्राप्त होता है।
एकादशी के दिन करने योग्य कार्य
- दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- विष्णु सहस्रनाम उपलब्ध न हो तो कम से कम 10 माला गुरुमंत्र का जप करें।
- घर में क्लेश या झगड़े हों तो उन्हें शांत करने हेतु संकल्प लेकर पाठ करें।
एकादशी के दिन बरतें ये सावधानियाँ
- वृद्ध, बालक एवं रोगी व्रत न रख सकें, तो भी चावल का त्याग अवश्य करें।
- शास्त्रों के अनुसार, एकादशी को चावल खाने से प्रत्येक चावल एक-एक कीड़ा खाने का पाप देता है।