ज्योतिष आचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
- विक्रम संवत : 2082
- शक संवत : 1947
- अयन : दक्षिणायन
- ऋतु : वर्षा ऋतु
- मास : श्रावण
- पक्ष : कृष्ण
- तिथि : षष्ठी रात्रि 8:00 बजे तक, तत्पश्चात सप्तमी
- नक्षत्र : उत्तरभाद्रपद (प्रात: 5:52 तक), तत्पश्चात रेवती मूल नक्षत्र
- योग : शोभन (दोपहर 12:43 तक), तत्पश्चात अतिगण्ड
- राहुकाल : दोपहर 12:00 से 1:30 तक
- सूर्योदय : प्रात: 5:17
- सूर्यास्त : सायं 6:43
- दिशाशूल : उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण
- कर्क संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से शाम 05:40 तक)
- पंचक प्रारंभ
- विशेष : षष्ठी
धार्मिक अनुशंसा
- चातुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
कर्क संक्रांति विशेष
आज 16 जुलाई 2025, बुधवार को कर्क संक्रांति है।
इस दिन किया गया जप, ध्यान, दान एवं पुण्यकर्म अक्षय फल प्रदान करता है।
पुण्यकाल सूर्योदय से शाम 5:40 तक रहेगा।
श्रावण मास में सूर्य पूजा का महत्व
भगवान शिव की भक्ति का माह श्रावण (सावन) विशेष पुण्यदायी है। शिवपुराण के अनुसार: श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को, यदि वह हस्त नक्षत्र व सप्तमी तिथि से युक्त हो, तो सूर्य भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है।
अग्निपुराण में कहा गया है:
“कृता हस्ते सूर्यवारं नतेन्नाब्दं स सर्वभाक” — इस दिन उपवास व पूजा करने वाला मनुष्य एक वर्ष में सभी इच्छाएं पूर्ण करता है। संपूर्ण सूर्य पूजा शिव मंदिर में करें। क्योंकि सूर्य देव को शिव का नेत्र और स्वरूप माना गया है। सूर्य और शिव की उपासना से रोग, भय, क्लेश व दुख से मुक्ति मिलती है।
श्रावण में सूर्य पूजा विधि:
- सूर्योदय के समय सूर्य को ताम्र पात्र से अर्घ्य दें।
मिश्रण: जल, गंगाजल, चावल, लाल पुष्प (गुड़हल), लाल चंदन - अर्घ्य मंत्र:
“ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर।” - सरल विकल्प: “ॐ आदित्याय नमः” या “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जप करें।
- प्रतिदिन 12 ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करें।
- शिवलिंग पर घी, शहद, गुड़ या लाल चंदन अर्पित करें।
- तांबे के दीपक में दीप प्रज्वलित करें।
- आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- युधिष्ठिरविरचित सूर्यस्तोत्र का पाठ करें।
- 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- सूर्य यदि शनि/राहु से पीड़ित हो तो रविवार को रुद्राभिषेक करवाएं।
- गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें।
शिव का ध्यान मंत्र:
“नमः शिवाय शांताय सगयादिहेतवे।
रुद्राय विष्णवे तुभ्यं ब्रह्मणे सूर्यमूर्तये।।”
रोग शांति हेतु उपाय:
- नेत्र व कुष्ठ रोगों की शांति हेतु सूर्य पूजा करें।
- शिवलिंग पर आक के पुष्प, बिल्व पत्र अर्पित करें।
- ब्राह्मण भोजन कराएं।
- यह उपाय 1 दिन, 1 मास, 1 वर्ष या 3 वर्ष तक करें।
- इससे प्रारब्ध दोष भी शांत हो सकता है।
सूर्याष्टकम (शिवप्रोक्त)
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते॥
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
बृंहितं तेजःपुंजं च वायुमाकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
तं सूर्यं जगतानाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम॥
॥ इति श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम् ॥