ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र
दिनांक: 15 अगस्त 2025, दिन: शुक्रवार
विक्रम संवत: 2082 | शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन | ऋतु: वर्षा ऋतु
मास: भाद्रपद | पक्ष: कृष्ण
तिथि: सप्तमी रात्रि 12:58 तक, तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र: अश्विनी (प्रातः 9:48 तक), तत्पश्चात भरणी
योग: गण्ड (दोपहर 1:14 तक), तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल: प्रातः 10:30 से दोपहर 12:00 तक
सूर्योदय: प्रातः 5:32 | सूर्यास्त: सायं 6:28
दिशाशूल: पश्चिम दिशा में
व्रत / पर्व: शीतला सप्तमी, स्वतंत्रता दिवस
विशेष जानकारी:
- सप्तमी तिथि का विशेष पुण्य प्रभाव
- चतुर्मास नियम:
- ताँबे और काँसे के पात्रों से परहेज़ करें
- पलाश की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक होता है
जन्माष्टमी व्रत की महिमा
कल – 16 अगस्त 2025, शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
- भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं – “बीस करोड़ एकादशी व्रतों के समान एक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत होता है।”
- धर्मराज सावित्री से कहते हैं – “भारतवर्ष में जो प्राणी जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।”
चार विशेष पुण्य रात्रियाँ
- दीपावली की रात्रि
- महाशिवरात्रि की रात्रि
- होली की रात्रि
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि
इन रात्रियों में जप, तप, ध्यान और जागरण विशेष पुण्यदायक होता है।
जन्माष्टमी की रात्रि “मोहरात्रि” कहलाती है, जिसमें श्रीकृष्ण का स्मरण, मंत्र-जप तथा ध्यान करने से मोह-माया से मुक्ति मिलती है।
जन्माष्टमी व्रत-उपवास की विशेष महत्ता
- यह एक उत्सव, पर्व, व्रत, और उपवास – चारों का मेल है।
- वायु पुराण एवं अन्य शास्त्रों में इसका महत्त्व बताया गया है।
- “जो व्यक्ति जन्माष्टमी की रात्रि में अन्न खा ले, वह नराधम कहलाता है” – शास्त्रों में लिखा है।
- जो व्रत रखकर, जप-ध्यान करके उत्सव मनाता है, वह अपनी 21 पीढ़ियों का उद्धार करता है।
- यह व्रत व्यक्ति को साकार अथवा निराकार परमात्मा के अनुभव की दिशा में अग्रसर करता है।
नोट: मधुमेह, वृद्ध, या दुर्बल व्यक्ति पूर्ण उपवास न करें; फलाहार करें।
जन्माष्टमी की रात्रि का विशेष महत्व:
- इस दिन किया गया जप अनंत गुना फलदायक होता है।
- विशेषतः रात्रि भर जागरण कर मंत्र-जप और ध्यान अत्यंत लाभकारी होता है।
- “क्लीं कृष्णाय नमः” अथवा गुरु-मंत्र का थोड़ा सा जप भी त्रितापों का नाश करता है।
- भविष्य पुराण अनुसार यह व्रत:
- रोगमुक्त जीवन
- अकाल मृत्यु से रक्षा
- गर्भपात व दुर्भाग्य से सुरक्षा
- पारिवारिक शांति और सुख का कारक है