ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
दिनांक: 13 मई 2025
दिन: मंगलवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: उत्तरायण
ऋतु: ग्रीष्म ऋतु
मास: ज्येष्ठ
पक्ष: कृष्ण
तिथि: प्रतिपदा (रात्रि 11:04 तक), तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र: विशाखा (प्रातः 8:14 तक), तत्पश्चात अनुराधा
योग: परिघ (पूर्ण रात्रि तक)
राहुकाल: अपराह्न 3:00 से 4:30 तक
सूर्योदय: प्रातः 5:24
सूर्यास्त: संध्या 6:36
दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत/पर्व विवरण: विशेष: प्रतिपदा
सौभाग्य की रक्षा और सुख-समृद्धि हेतु
माताएँ एवं बहनें प्रतिदिन स्नान के पश्चात उत्तर दिशा की ओर मुख करके, पार्वती माता का स्मरण करें और यह मंत्र बोलते हुए तिलक करें:
“ॐ ह्रीं गौर्यै नमः” इससे सौभाग्य की रक्षा होती है और परिवार में सुख-शांति एवं समृद्धि बढ़ती है।
ज्येष्ठ मास का आरम्भ — 13 मई 2025 (उत्तर भारत के पंचांग अनुसार)
महाभारत (अनुशासन पर्व, अध्याय 106): “जो स्त्री या पुरुष पूरे ज्येष्ठ मास में एक समय भोजन करता है, वह अनुपम ऐश्वर्य प्राप्त करता है।”
शिवपुराण: ज्येष्ठ में तिल का दान बल और आयु बढ़ाता है तथा मृत्यु को टालने वाला होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा (मूल नक्षत्र पर): मथुरा में स्नान, व्रत-उपवास, श्रीकृष्ण पूजन एवं नारद पुराण श्रवण से जन्म-जन्मांतरों के पाप नष्ट होते हैं। ऐसे भक्त वैकुंठ को प्राप्त करते हैं।
धर्मसिन्धु: ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को तिल दान करने से अश्वमेध यज्ञ के तुल्य फल की प्राप्ति होती है।
महत्त्वपूर्ण तिथियाँ – ज्येष्ठ मास
- अपरा एकादशी: कृष्ण पक्ष की एकादशी
- शनि जयंती: कृष्ण अमावस्या (रात्रि में जन्म)
- गंगा दशहरा: शुक्ल दशमी
- निर्जला एकादशी: शुक्ल पक्ष की एकादशी
- त्रिविक्रम पूजा: शुक्ल द्वादशी (उपवास और पूजन करने से गोमेध यज्ञ फल)
विष्णुपुराण (6.8.33–34):
“जो पुरुष ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी को यमुना स्नान करके, मथुरा में श्रीअच्युत का समर्पणपूर्वक पूजन करता है,
उसे अश्वमेध यज्ञ का सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है।”