ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
- दिनांक: 05 अगस्त 2025
- दिन: मंगलवार
- विक्रम संवत: 2082
- शक संवत: 1947
- अयन: दक्षिणायन
- ऋतु: वर्षा
- मास: श्रावण
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: एकादशी प्रातः 11:29 तक, तत्पश्चात द्वादशी
- नक्षत्र: ज्येष्ठा प्रातः 10:52 तक, तत्पश्चात मूल
- योग: इन्द्र 07:57 तक, तत्पश्चात वैधृति
- राहुकाल: अपराह्न 3:00 से 4:30 बजे तक
- सूर्योदय: प्रातः 5:26 बजे
- सूर्यास्त: सायं 6:34 बजे
- दिशाशूल: उत्तर दिशा में
व्रत एवं पर्व:
- पुत्रदा एकादशी
- पवित्रा एकादशी
- दामोदर द्वादशी
- मंगला गौरी पूजन
विशेष जानकारी:
- हर एकादशी को श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम त तुल्यं, राम नाम वरानने।
→ इस मंत्र का जप करने से सहस्रनाम जप के समान पुण्य प्राप्त होता है। - एकादशी के दिन:
- बाल कटवाना वर्जित है।
- चावल व साबूदाना का सेवन वर्जित है।
- आँवले के रस से स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं।
- चतुर्मास में तांबे व काँसे के पात्रों से परहेज करें।
- पलाश की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक माना गया है।
पुत्रदा एकादशी
- आज 05 अगस्त 2025, मंगलवार को पुत्रदा एकादशी है।
- जो व्यक्ति पुत्र की इच्छा से इस व्रत का पालन करता है, उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है और वह स्वर्ग का अधिकारी बनता है।
प्रदोष व्रत – 06 अगस्त 2025, बुधवार
प्रदोष व्रत प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु किया जाता है।
व्रत एवं पूजन विधि:
- प्रातः स्नान कर भगवान शंकर, माता पार्वती एवं नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
- बेलपत्र, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची अर्पित करें।
- दिन भर निराहार अथवा एक समय फलाहार करें।
- संध्या को पुनः पूजन कर घी और शक्कर युक्त जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में प्रज्वलित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और उसी प्रसाद से व्रत पूर्ण करें।
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।
विशेष उपाय:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान के पश्चात तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पित करें।
- जल में आकड़े के फूल अवश्य मिलाएं — यह भगवान शिव को प्रिय हैं।
- इस उपाय से भगवान शिव व सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और भाग्योदय संभव होता है।