ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: हेमंत ऋतु
मास: कार्तिक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: चतुर्दशी रात्रि 9:33 तक, तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र: रेवती प्रातः 11:48 तक, तत्पश्चात अश्विनी
योग: वज्र शाम 4:00 तक, तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल: शाम 3:00 से 4:30 तक
सूर्योदय: प्रातः 6:29 बजे
सूर्यास्त: संध्या 5:31 बजे
दिशा शूल: उत्तर दिशा में
व्रत/पर्व विवरण: वैकुंठ चतुर्दशी, पंचक (समाप्त दोपहर 12:34)
विशेष: चतुर्दशी
मार्गशीर्ष मास विशेष
मार्गशीर्ष मास का आरम्भ 06 नवम्बर 2025, गुरुवार से हो रहा है। यह मास भगवान श्रीहरि विष्णु को अत्यंत प्रिय माना गया है।
विशेष महत्व
1. मार्गशीर्ष मास में तीन ग्रंथों के पाठ की अत्यंत महिमा कही गई है — विष्णुसहस्रनाम, भगवद्गीता और गजेन्द्रमोक्ष कथा। इनका पाठ दिन में दो या तीन बार करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है।
2. इस मास में श्रीमद्भागवत ग्रंथ का दर्शन एवं पाठ अत्यंत शुभ माना गया है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि यदि घर में भागवत ग्रंथ हो, तो प्रतिदिन उसका दर्शन एवं प्रणाम अवश्य करना चाहिए।
3. इस पवित्र मास में अपने गुरु तथा इष्टदेव को “ॐ दामोदराय नमः” कहकर प्रणाम करने की महान महिमा कही गई है।
4. शंख में तीर्थ जल भरकर, पूजा स्थल में भगवान एवं गुरु के ऊपर से शंख घुमाते हुए भगवान का नाम लेते हुए वह जल घर की दीवारों पर छिड़कने से घर में शुद्धि, शांति एवं समृद्धि की वृद्धि होती है तथा क्लेश और विवाद दूर होते हैं।
मार्गशीर्ष मास का फल
इस मास में कपूर का दीपक जलाकर भगवान को अर्पित करने वाला व्यक्ति अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त करता है और अपने कुल का उद्धार करता है।





















