ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा
दिनांक: 04 अगस्त 2025
दिन: सोमवार
विक्रम संवत: 2082
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: वर्षा ऋतु
मास: श्रावण
पक्ष: शुक्ल
तिथि: दशमी प्रातः 9:52 बजे तक, तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र: अनुराधा प्रातः 8:44 बजे तक, तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग: ब्रह्म 07:37 तक, तत्पश्चात इन्द्र
राहुकाल: प्रातः 07:30 से 09:00 तक
सूर्योदय: प्रातः 5:26 बजे
सूर्यास्त: सायं 6:34 बजे
दिशाशूल: पूर्व दिशा में
व्रत/पर्व विशेष
चतुर्मास के दौरान तांबे एवं काँसे के पात्रों का उपयोग न करें।
इन दिनों पलाश के पत्तों पर भोजन करना पापनाशक माना गया है।
एकादशी व्रत की तिथि:
एकादशी व्रत मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को करें।
व्रत पारण बुधवार, 6 अगस्त 2025 को प्रातः 9:00 बजे से पूर्व करें।
ध्यान दें: एकादशी तिथि 4 अगस्त प्रातः 9:52 से लेकर 5 अगस्त प्रातः 11:29 तक रहेगी।
एकादशी व्रत के लाभ
– सूर्यग्रहण में दिए दान से अधिक पुण्य एकादशी व्रत से प्राप्त होता है।
– यह व्रत गौदान, सुवर्णदान एवं अश्वमेघ यज्ञ से भी श्रेष्ठ माना गया है।
– पितरों को नीच योनि से मुक्ति मिलती है, और वे प्रसन्न रहते हैं।
– व्रतधारी के घर में सुख-शांति, धन-धान्य, संतान व कीर्ति में वृद्धि होती है।
– जीवन में श्रद्धा, भक्ति और आनंद की अनुभूति होती है।
– भगवान शिवजी ने नारद से कहा: “एकादशी का व्रत करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।”
– व्रत, गौदान आदि का अनंत गुना पुण्य इसी दिन प्राप्त होता है।
एकादशी के दिन करने योग्य कार्य
– दीप जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
– यदि वह उपलब्ध न हो, तो कम से कम 10 माला गुरुमंत्र का जाप करें।
– यदि घर में कलह या अशांति हो, तो विशेष संकल्प लेकर पाठ करें — परिणाम शीघ्र मिलते हैं।
एकादशी के दिन ये सावधानियाँ रखें
– एकादशी व्रत न कर सकने वाले वृद्ध, बालक, या रोगी भी चावल का सेवन न करें।
– धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने का पाप एक-एक चावल = एक-एक कीड़ा खाने के समान है।
(संदर्भ: डोंगरे जी महाराज, श्रीमद्भागवत प्रवचन)