आज है नाग पंचमी, जानें नाग देवता की सरल पूजा विधि और मंत्र का महाउपाय

डॉ उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे देश में श्रद्धा, भक्ति और परंपरागत विधियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन उपवास रखकर नाग देवता की पूजा करना शुभ एवं कल्याणकारी माना जाता है। मान्यता है कि विधिपूर्वक पूजन से सर्प भय से मुक्ति मिलती है और परिवार सुख-समृद्धि से भरता है।
प्रचलित कथाएं
1. किसान और नागिन की कथा
एक किसान अपने दो पुत्रों और एक पुत्री के साथ रहता था। एक दिन खेत जोतते समय उसके हल के नीचे नाग के तीन बच्चे दबकर मर गए। नागिन ने क्रोधित होकर रात में किसान, उसकी पत्नी और दोनों पुत्रों को डस लिया। सुबह जब वह किसान की पुत्री को डसने आई, तो पुत्री ने हाथ जोड़कर क्षमा मांगी और नागिन को दूध अर्पित किया। पुत्री की श्रद्धा और विनम्रता से प्रसन्न होकर नागिन ने पूरे परिवार को पुनर्जीवित कर दिया। यह घटना श्रावण शुक्ल पंचमी की थी। तभी से यह दिन नाग पूजा के लिए विशेष माना गया।
2. राजा और पांच नागों की कथा
एक राजा के सात पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र को संतान नहीं हो रही थी। एक रात उसकी पत्नी को स्वप्न आया जिसमें पांच नाग प्रकट हुए और कहा कि यदि वह नाग पंचमी पर व्रत रखकर पूजा करे तो उसे संतान की प्राप्ति होगी। अगले दिन उसने विधिपूर्वक पूजा की और समय आने पर उसे संतान सुख मिला। तब से नाग पंचमी का पर्व संतान प्राप्ति और पारिवारिक कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाने लगा।
नाग पंचमी पूजन विधि

- इस दिन प्रातः स्नानादि कर घर के मुख्य द्वार और पूजास्थल पर गोबर से नाग बनाए जाते हैं।
- नाग देवता को दूध, दूब, कुशा, अक्षत, पुष्प, चंदन आदि अर्पित कर पूजन किया जाता है।
- लड्डू, मालपुआ, सैंवई आदि पकवान बनाकर भोग लगाया जाता है।
- सर्प प्रतिमा को दूध से स्नान कराने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे सर्प भय समाप्त होता है।
देश के विभिन्न भागों में परंपराएं भिन्न हैं
- महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और केरल में यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है।
- बंगाल और असम में मां मनसा देवी की पूजा होती है।
- केरल में शेषनाग की विशेष पूजा की जाती है।
- इस दिन देवी सरस्वती की पूजा कर बौद्धिक कार्य भी किए जाते हैं।
पूजन की विधिवत प्रक्रिया

- पूजा की तैयारी:
- घर की सफाई के बाद सैंवई-चावल आदि पकवान तैयार करें।
- कई स्थानों पर इस दिन बासी भोजन (एक दिन पूर्व पका हुआ) ग्रहण करने की परंपरा है।
- पूजन सामग्री:
- पंचामृत (दूध, दही, घृत, मधु, शर्करा) से नाग देवता को स्नान कराएं।
- चंदन, कुंकुम, हल्दी, बिल्व पत्र, पुष्पमाला, धूप-दीप, ऋतुफल, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- पूजन मंत्र:
- नागदेवता को चंदन, सुगंधित पुष्पों से अर्पण करें क्योंकि उन्हें सुगंध विशेष प्रिय है।पूजन में निम्न मंत्र का जप करें:
विशेष सावधानी
- इस दिन भूमि को न खोदें, न ही हल चलाएं।
- नागों का वास पृथ्वी में होता है, अतः भूमि में खुदाई को निषेध माना गया है।