असाध्य रोगों को शांत करने के लिए करें कुशोदक से रुद्राभिषेक
डॉ. उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : रुद्राभिषेक” भगवान शिव की एक अत्यंत प्रभावशाली एवं दिव्य पूजा विधि है, जिसे श्रद्धा व नियमपूर्वक करने पर अनेक सांसारिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। शास्त्रों में इसका उल्लेख विशेष रूप से किया गया है कि रुद्राभिषेक से न केवल ग्रहदोष और पापों का नाश होता है, बल्कि यह जीवन को समृद्ध, शांत और सफल भी बनाता है।
रुद्राभिषेक से प्राप्त होने वाले प्रमुख 18 लाभ:
1. रोगों से मुक्ति:
रुद्राभिषेक करने से पुराने व असाध्य रोगों से राहत मिलती है और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
2. मनोकामनाओं की पूर्ति:
भक्त की सच्ची इच्छाओं की पूर्ति हेतु यह एक सिद्ध उपाय माना गया है।
3. दुखों का नाश:
जीवन में व्याप्त कष्ट, अशांति और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
4. सुख-शांति की प्राप्ति:
घर-परिवार में सुख, सौहार्द, प्रेम और शांति का वास होता है।
5. धन-धान्य की वृद्धि:
रुद्राभिषेक से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
6. शत्रुओं पर विजय:
शत्रु बाधाओं से मुक्ति और विजयी होने का मार्ग प्रशस्त होता है।
7. कालसर्प दोष का निवारण:
रुद्राभिषेक से कालसर्प व अन्य ग्रहदोषों की शांति होती है।
8. पितृदोष से मुक्ति:
पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु यह अति आवश्यक विधान है।
9. पापों का नाश:
वर्तमान एवं पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है।
10. सफलता और उन्नति:
कार्य, व्यापार और करियर में स्थायी सफलता प्राप्त होती है।
11. भगवान शिव का आशीर्वाद:
शिव कृपा सहज प्राप्त होती है जिससे जीवन की सारी बाधाएं हटती हैं।
12. आध्यात्मिक विकास:
रुद्राभिषेक साधक को आत्मज्ञान और अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है।
13. मानसिक शांति:
चिंता, तनाव व मानसिक अशांति से मुक्ति मिलती है।
14. भय से मुक्ति:
भीतर छुपे भय, संशय व असुरक्षा की भावना दूर होती है।
15. सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
घर व मन में शुभ व सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
16. विवाह में सफलता:
विवाह संबंधी अड़चनों को दूर करता है, विशेषकर मांगलिक दोष वालों हेतु।
17. संतान प्राप्ति:
निसंतान दंपत्तियों के लिए संतान सुख की प्राप्ति में सहायक।
18. आर्थिक समृद्धि:
व्यवसाय व धन लाभ में वृद्धि होती है, ऋणमुक्ति में भी सहायक।
रुद्राभिषेक में प्रयुक्त मुख्य सामग्री:
- शुद्ध जल
- दूध
- दही
- घी
- शहद
- गन्ने का रस
- गुलाब जल या इत्र
- बेलपत्र, धतूरा, आक, भस्म, चंदन, रोली आदि