श्री इंदिरा एकादशी व्रत एवम पितृ श्राद्ध एकादशी
डॉ उमाशंकर मिश्र लखनऊ : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत सभी घरों में करना चाहिए I जो भी व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है और उस व्रत पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है, तो इससे उसके पितरों को लाभ होता है। जो पित्र यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं, उनको इंदिरा एकादशी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है I ऐसा करने से आपके पितर नरक लोक के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं और उनको श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। इससे प्रसन्न होकर पितर सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति आदि का हमें आशीष देते हैं
एकादशी तिथि प्रारम्भ :
आज 27 सितंबर 2024, शुक्रवार सायं 04:22 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त :
28 सितंबर 2024, शनिवार सायं 04:52 मिनट पे
एकादशी तिथि समाप्त :
29 सितंबर 2024, रविवार प्रातः 7:30 से 09:30 तक
विशेष : एकादशी का व्रत सूर्य उदय तिथी शनिवार के दिन ही रखें शुकवार शाम एवं शनिवार व्रत के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुई चीज वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें अगर आपने व्रत नहीं रखा है तो भी
इंदिरा एकादशी व्रत करने से जाने-अनजाने में पितरों से कोई पाप हुआ हो तो इस व्रत को करने से उन्हें नर्क में सज़ा नहीं भुगतनी पड़ती है I बल्कि पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है
इस दिन सुबह स्नानादि कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए हाथ में जल, पुष्प व दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प करें। पितृ कार्यों का समय दोपहर का होता है इसीलिए दोपहर को पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्घ करें I
कई बार पितरों का उद्धार न हो पाने के कारण घर में पितृदोष लग जाता है। इसके कारण हर काम में अड़चनें आती हैं। ऐसे लोगों के लिए ये व्रत किसी वरदान से कम नहीं है I विधि विधान से यदि परिवारजन ये व्रत रखें तो पितरों का जरूर उद्धार होता हैI
पितरों के लिए इस दिन करें महाप्रयोग :
जब कभी श्राद्ध, श्रद्धा से न करके दबाव से किया जाता है या अयोग्य व्यक्ति के द्वारा श्राद्ध होता है तो श्राद्ध के बावजूद भी मुक्ति नहीं होती है I तो पितृ पक्ष की एकादशी के दिन महा प्रयोग करके इस समस्या का निदान किया जा सकता है I
एकादशी के दिन उडद की दाल, उडद के बड़े और पूरियां बनाएं चावल का प्रयोग न करे I इस दिन आप भगवद्गीता का पाठ करें अपने पूज्य ब्राह्मणों को गुरु जनोंको भांजे को भोजन करावे दक्षिणा दें उनसे चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें निर्धनों को भोजन कराएं पितृदोष होता है दूर I
इंदिरा एकादशी ऐसे देता है पितरों की आत्मा को शांति:
प्रभु श्री हरि विष्णु को फल और तुलसी दल अर्पित करें भगवान के समक्ष भगवदगीता का पाठ करें। निर्धनों को फ़ल का दान करें एक तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। किसी सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा अगर संभव हो तो लगा दें I
यह श्राद्ध पक्ष की एकादशी है.इसके प्रभाव से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.इस एकादशी की पूजा विधि इस प्रकार है :
- अन्य एकादशी की तरह इस व्रत के धार्मिक कर्म भी दशमी से ही शुरू हो जाते हैं.दशमी के दिन घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें I
- श्राद्ध की तर्पण विधि के पश्चात ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें.याद रखें दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें I
- एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें I
- एकादशी पर श्राद्ध विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं.इसके बाद गाय, कौए और कुत्ते को भी भोज्य पदार्थ दें I
- व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें.इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें I