11 नाम जिनके पीछे छिपे हैं गहरे आध्यात्मिक और पौराणिक रहस्य
डॉ. उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : हनुमानजी को हिन्दू धर्म में चमत्कारों के देवता के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में इनके 108 नामों का उल्लेख मिलता है, लेकिन इनमें से 11 नाम अत्यंत विशेष माने जाते हैं, जिनके पीछे गहरे आध्यात्मिक और पौराणिक रहस्य छिपे हैं।
हनुमानजी के 11 विशेष नाम और उनका रहस्य
1. मारुति
हनुमानजी का बाल्यकालीन नाम ‘मारुति’ था, जो उनका मूल नाम भी माना जाता है।
2. अंजनीपुत्र
माता अंजना के पुत्र होने के कारण वे अंजनीपुत्र कहलाते हैं। ‘आंजनेय’ नाम भी इसी से आया है।
3. केसरीनंदन
पिता केसरी के नाम पर उन्हें केसरीनंदन कहा गया।
4. हनुमान
बाल्यकाल में सूर्य को निगलने पर इंद्र ने वज्र से प्रहार किया, जिससे उनकी ठोड़ी (हनु) टूट गई। इसी कारण ‘हनुमान’ नाम पड़ा।
5. पवनपुत्र
वायु देवता उनके सांसारिक जन्मदाता माने जाते हैं। वे वायुपुत्र तथा मारुति नंदन कहलाते हैं।
6. शंकरसुवन
हनुमानजी रुद्रावतार हैं, अतः उन्हें शंकरसुवन भी कहा जाता है।
7. बजरंगबली
वज्र के समान कठोर अंगों वाले बलशाली हनुमान को बजरंगबली (वज्र+अंग+बलि) कहा गया।
8. कपिश्रेष्ठ
वानर जाति में जन्म लेने के कारण वे वानरों में श्रेष्ठ कहे गए — कपिश्रेष्ठ।
9. वानर यूथपति
वे वानर सेना के नायक थे, इसलिए उन्हें वानर यूथपति की संज्ञा दी गई।
10. रामदूत
प्रभु श्रीराम के हर कार्य में दूत बनकर उपस्थित होने के कारण वे रामदूत कहलाते हैं।
11. पंचमुखी हनुमान
अहिरावण वध के समय पांच मुख धारण कर पंचदिशाओं में दीप बुझाकर विजय प्राप्त की, इसी कारण पंचमुखी कहलाते हैं।
हनुमानजी की स्तुति एवं दोहा
दोहा:
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
स्तुति:
हनुमान अंजनीसूत वायु पुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखा पिङ्गाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा॥
हनुमानजी के 12 चमत्कारिक नाम
- हनुमान
- अंजनीसूत
- वायुपुत्र
- महाबल
- रामेष्ट
- फाल्गुनसखा
- पिंगाक्ष
- अमितविक्रम
- उदधिक्रमण
- सीताशोकविनाशन
- लक्ष्मणप्राणदाता
- दशग्रीवदर्पहा
हनुमानजी के 108 नाम (संकलन)
- भीमसेन सहायकृते
- कपीश्वराय
- महाकायाय
- कपिसेनानायक
- कुमार ब्रह्मचारिणे
- महाबलपराक्रमी
- रामदूताय
- वानराय
- केसरी सुताय
- शोक निवारणाय
- अंजनागर्भसंभूताय
- विभीषणप्रियाय
- वज्रकायाय
- रामभक्ताय
- लंकापुरीविदाहक
- सुग्रीव सचिवाय
- पिंगलाक्षाय
- हरिमर्कटमर्कटाय
- रामकथालोलाय
- सीतान्वेणकर्त्ता
- वज्रनखाय
- रुद्रवीर्य
- वायु पुत्र
- रामभक्त
- वानरेश्वर
- ब्रह्मचारी
- आंजनेय
- महावीर
- हनुमत
- मारुतात्मज
- तत्वज्ञानप्रदाता
- सीता मुद्राप्रदाता
- अशोकवह्रिकक्षेत्रे
- सर्वमायाविभंजन
- सर्वबन्धविमोत्र
- रक्षाविध्वंसकारी
- परविद्यापरिहारी
- परमशौर्यविनाशय
- परमंत्र निराकर्त्रे
- परयंत्र प्रभेदकाय
- सर्वग्रह निवासिने
- सर्वदु:खहराय
- सर्वलोकचारिणे
- मनोजवय
- पारिजातमूलस्थाय
- सर्वमूत्ररूपवते
- सर्वतंत्ररूपिणे
- सर्वयंत्रात्मकाय
- सर्वरोगहराय
- प्रभवे
- सर्वविद्यासम्पत
- भविष्य चतुरानन
- रत्नकुण्डल पाहक
- चंचलद्वाल
- गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
- कारागृहविमोक्त्री
- सर्वबंधमोचकाय
- सागरोत्तारकाय
- प्रज्ञाय
- प्रतापवते
- बालार्कसदृशनाय
- दशग्रीवकुलान्तक
- लक्ष्मण प्राणदाता
- महाद्युतये
- चिरंजीवने
- दैत्यविघातक
- अक्षहन्त्रे
- कालनाभाय
- कांचनाभाय
- पंचवक्त्राय
- महातपसी
- लंकिनीभंजन
- श्रीमते
- सिंहिकाप्राणहर्ता
- लोकपूज्याय
- धीराय
- शूराय
- दैत्यकुलान्तक
- सुरारर्चित
- महातेजस
- रामचूड़ामणिप्रदाय
- कामरूपिणे
- मैनाकपूजिताय
- मार्तण्डमण्डलाय
- विनितेन्द्रिय
- रामसुग्रीव सन्धात्रे
- महारावण मर्दनाय
- स्फटिकाभाय
- वागधीक्षाय
- नवव्याकृतपंडित
- चतुर्बाहवे
- दीनबन्धवे
- महात्मने
- भक्तवत्सलाय अपराजित
- शुचये
- वाग्मिने
- दृढ़व्रताय
- कालनेमि प्रमथनाय
- दान्ताय
- शान्ताय
- प्रसनात्मने
- शतकण्ठमदापहते
- योगिने
- अनघ
- अकाय
- तत्त्वगम्य
- लंकारि