रक्षाबंधन का तात्पर्य मात्र एक रस्म नहीं, बल्कि यह “रक्षा के संकल्प का स्मरण” है
डॉ. उमाशंकर मिश्रा,संवाददाता : भारत की सांस्कृतिक विरासत में रक्षाबंधन एक ऐसा पर्व है, जो प्रेम, विश्वास और आध्यात्मिक बंधन का प्रतीक माना जाता है। यह केवल भाई-बहन का संबंध नहीं, बल्कि रक्षा, ऊर्जा और संस्कारों का उत्सव है। महाभारत में वर्णित एक प्रसंग के अनुसार, जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को रक्षासूत्र बांधा था, तब श्रीकृष्ण ने उसका जीवन संकट से बचाने का वचन निभाया। इसी प्रकार, देव-दानव युद्ध के समय देवगुरु बृहस्पति की सलाह पर इंद्राणी ने इंद्र को रक्षासूत्र बांधा, जिससे उनकी विजय हुई।
धार्मिक संदेश:
रक्षाबंधन का तात्पर्य मात्र एक रस्म नहीं, बल्कि यह “रक्षा के संकल्प का स्मरण” है — जो आत्मिक, मानसिक और सामाजिक स्तर पर रक्षा का वचन देता है।
ज्योतिषीय उपाय: रक्षाबंधन पर अवश्य करें
1. रक्षा मंत्र:
यदि भाई की कुंडली में शनि, राहु या मंगल दोष हो, तो राखी बांधते समय बहन यह मंत्र पढ़े:
“ॐ रक्षा स्वरूपाय नमः”
यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है।
2. चंद्र यंत्र धारण:
कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वाले भाई चंद्र यंत्र धारण करें — मानसिक संतुलन और शांति हेतु।
3. आर्थिक और संतान लाभ हेतु:
यदि कुंडली में कुबेर या संतान भाव कमजोर हो, तो इस दिन पीली राखी या हल्दी से बनी मौली बांधें।
4. घर की रक्षा हेतु:
रक्षासूत्र केवल भाई को ही नहीं, घर के मुख्य द्वार पर भी बहन या मां द्वारा बांधा जाए। यह वास्तु दोष, नज़र दोष और ऊर्जाओं की सुरक्षा प्रदान करता है।
आज का शुभ मुहूर्त व विधि
तिथि: 9 अगस्त 2025, शनिवार
शुभ मुहूर्त: प्रातः 5:45 से दोपहर 1:30 बजे तक (भद्रा काल समाप्त)
विधि:
- बहन पहले भाई को तिलक लगाकर अक्षत (चावल) चढ़ाए।
- फिर रक्षा-सूत्र (राखी) बांधते समय यह मंत्र पढ़े:
“येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।”
- भाई उपहार दे और संकल्प ले —
“मैं जीवन भर उसकी भावनाओं, सम्मान और आत्मबल की रक्षा करूंगा।”
अंतिम संदेश:
रक्षा केवल बाहरी नहीं होती।
यह आत्मा, विचार, कर्म और संबंधों की भी होती है।
इस रक्षाबंधन पर एक ऐसा रक्षा-सूत्र बांधिए
जो केवल कलाई पर नहीं, आत्मा से जुड़ा हो।