दो रंगों के शिवलिंगों की अद्भुत स्थापना, सावन में उमड़ता है श्रद्धा का सैलाब

सूरतगंज (बाराबंकी),संवाददाता : जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर दूर सूरतगंज ब्लॉक के चंदूरा गांव में स्थित प्राचीन मनकामेश्वर शिव मंदिर श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक बन चुका है। फतेहपुर-सूरतगंज मार्ग से एक किलोमीटर भीतर स्थित यह मंदिर, न केवल क्षेत्रीय आस्था का केंद्र है, बल्कि दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था भी यहां जुड़ी हुई है।
अनूठा इतिहास, विरले स्वरूप

मंदिर से जुड़ी एक मान्यता इसे और भी विशेष बनाती है। मंदिर के पुजारी सुरेश दीक्षित बताते हैं कि वर्षों पहले एक व्यक्ति गांव में शिवलिंगों की मूर्तियाँ बेचने आया था। उस समय चंदूरा गांव में यह मंदिर बन रहा था, पर आर्थिक अभाव के कारण गांववासियों ने मिलकर काले रंग की शिवलिंग ही खरीदी। लेकिन उसी रात मूर्ति विक्रेता को एक दिव्य स्वप्न आया कि श्वेत शिवलिंग भी इसी मंदिर में स्थापित की जानी चाहिए।
सुबह होते ही उसने गांववालों को स्वप्न के बारे में बताया और श्वेत शिवलिंग भी उन्हें सौंप दी, जिसे ग्रामीणों ने श्रद्धा से कुछ धन देकर स्वीकार किया। तब से लेकर आज तक दोनों शिवलिंग साथ-साथ मंदिर में स्थापित हैं — एक अनोखा संगम, जो विरले ही देखने को मिलता है।
भक्ति और विश्वास की जीवंत मिसाल
यह मंदिर बाराबंकी जिले का ऐसा एकमात्र स्थान है जहां दो रंगों की शिवलिंगें एक साथ प्रतिष्ठित हैं — एक काली और एक सफेद। यह दृश्य श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था जगाता है।
स्थानीय लोग मानते हैं कि जो भी यहां सच्चे मन से आता है, उसकी हर इच्छा भगवान मनकामेश्वर अवश्य पूरी करते हैं। सावन के पावन महीने में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। रुद्राभिषेक, जलाभिषेक व विशेष पूजा-अर्चना के आयोजन श्रद्धा को और गहरा बना देते हैं।
मन की मुराद यहाँ जरूर पूरी होती है
मंदिर के व्यवस्थापक बृजेश कहते हैं, ऐसे स्थल बहुत कम होते हैं जहां दो शिवलिंग एक साथ प्रतिष्ठित हों। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और भोलेनाथ से अपनी कामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। यह मंदिर साक्षात सिद्धपीठ जैसा है, जहां विश्वास कभी खाली नहीं लौटता।”
सावन में सजता है आस्था का मेला
श्रावण मास में मंदिर परिसर भक्ति के रंग में रंग जाता है। कांवड़ लेकर आने वाले भक्तों से लेकर स्थानीय ग्रामीणों तक — हर कोई शिव भक्ति में लीन दिखाई देता है। दीपों की रोशनी, बेलपत्रों की महक और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे मंदिर को दिव्यता से भर देते हैं।बता दें कि मनकामेश्वर शिव मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थल है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक भी है — जो वर्षों से लोगों की आस्था, श्रद्धा और भावनाओं को संजोए हुए है।