सावन के तीसरे सोमवार के दिन भद्रा रहित शिव पूजन का उत्तम मुहूर्त
डॉ. उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : श्रावण मास का प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। परंतु यदि पूजन राशि अनुसार किया जाए, तो इसका प्रभाव और भी अधिक फलदायक होता है। आइए जानते हैं कि आज के दिन विभिन्न राशियों के जातकों को किस विधि से भगवान भोलेनाथ का पूजन करना चाहिए—
मेष राशि: शिवजी का अभिषेक गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर करें। चंदन एवं सफेद पुष्प अर्पित करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 11, 21, 51 या 108 बार जप करें। इससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
वृषभ राशि: शिवजी का दही से अभिषेक करें। सफेद फूल एवं बेलपत्र चढ़ाएं। इससे धन, वाहन और भवन की प्राप्ति के योग बनते हैं।
मिथुन राशि: गन्ने के रस से शिव अभिषेक करें। भांग, धतूरा, बेलपत्र अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।
कर्क राशि: दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक करें। आंक के श्वेत फूल, धतूरा व बेलपत्र अर्पित करें। रुद्राष्टक का पाठ लाभकारी रहेगा।
सिंह राशि: मधु या गुड़ युक्त जल से अभिषेक करें। कनेर पुष्प, लाल चंदन अर्पित करें। गुड़-चावल की खीर का भोग लगाएं। महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
कन्या राशि: गन्ने के रस से अभिषेक करें। भांग, दुर्वा, पान और बेलपत्र चढ़ाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें। शिव चालीसा का पाठ भी लाभदायक होगा।
तुला राशि: गाय के घी, इत्र मिश्रित दूध या मिश्री मिले दूध से अभिषेक करें। सफेद पुष्प व दही, शहद, श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। शिव सहस्त्रनाम का जाप करें।
वृश्चिक राशि: पंचामृत या शहद युक्त जल से शिव अभिषेक करें। लाल पुष्प, लाल चंदन अर्पित करें। बेलपत्र या बेल के पौधे की जड़ चढ़ाएं। रुद्राष्टक का पाठ करें।
धनु राशि: दूध में हल्दी या पीला चंदन मिलाकर अभिषेक करें। पीले पुष्प या गेंदे के फूल चढ़ाएं। खीर का भोग लगाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप व शिव चालीसा का पाठ करें।
मकर राशि: नारियल पानी या गंगा जल से अभिषेक करें। त्र्यंबकेश्वर का ध्यान कर बेलपत्र, धतूरा, शमी पुष्प, भांग और अष्टगंध अर्पित करें। उड़द की मिठाई का भोग लगाएं। नीला कमल भी अर्पित करें।
कुंभ राशि: नारियल जल, सरसों या तिल के तेल से अभिषेक करें। शिवाष्टक का पाठ करें। शमी पुष्प चढ़ाएं। बिगड़े काम बनेंगे, शनि पीड़ा में राहत मिलेगी।
मीन राशि: केसर मिश्रित जल से शिव अभिषेक करें। पंचामृत, दही, दूध और पीले पुष्प चढ़ाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप व शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।