भगवान शिव को समर्पित होता है यह चातुर्मास का पहला महीना
डॉ उमाशंकर मिश्रा,संवाददाता : सावन मास (श्रावण मास) हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह चातुर्मास का प्रथम महीना होता है और वर्षा ऋतु में आता है, जब प्रकृति हरी-भरी और वातावरण आध्यात्मिकता से भर जाता है
सावन मास का धार्मिक महत्व
1. भगवान शिव को प्रिय: सावन मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने सावन मास में ही शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था।
2. मनोकामना पूर्ति: कहा जाता है कि इस पवित्र महीने में श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
3. शिवलिंग पर जल अर्पण: शिव पुराण के अनुसार, सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. समुद्र मंथन प्रसंग: पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले विष (हलाहल) को भगवान शिव ने इसी महीने में ग्रहण किया था और नीलकंठ कहलाए। तभी से इस माह में शिव को जल चढ़ाकर उनके शरीर को शीतलता देने की परंपरा है।
5. कांवड़ यात्रा: इस महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। भक्तगण पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल चलते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
सावन में शिव पूजा विधि
1. स्नान एवं संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
2. अभिषेक (पंचामृत): गंगाजल (या स्वच्छ जल) से शिवलिंग स्नान कराएं। फिर दूध, दही, घी, शहद व शक्कर से अभिषेक करें। हर सामग्री से पूर्व व पश्चात पवित्र जल चढ़ाएं।
3. पूजन सामग्री अर्पण करें: बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद पुष्प, चंदन, काला तिल, आक-पत्र, शमी-पुष्प, फल व मिष्ठान अर्पित करें।
4. मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करें अथवा ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का पाठ करें। शिव चालीसा पढ़ें।
5. आरती व प्रसाद वितरण:
पूजा के अंत में श्रद्धा पूर्वक आरती करें और प्रसाद घर के सभी सदस्यों में बांटें।
सावन के व्रत और नियम
क्या करें:
- प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठें, स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें
- भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करें
- सावन सोमवार का व्रत रखें
- ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें
- सात्विक भोजन ग्रहण करें
- पशु-पक्षियों, प्रकृति और गरीबों का सम्मान करें
- मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन करें
- रुद्राभिषेक करें
क्या न करें:
- मांसाहारी भोजन, शराब, तंबाकू का सेवन न करें
- प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करें
- क्रोध, ईर्ष्या और अपवित्र विचारों से बचें
- बाल और नाखून काटने से बचें
- शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं
- कांसे के बर्तन में भोजन न करें
- शरीर पर तेल न लगाएं
- किसी को अपमानित न करें, किसी भूखे को दरवाजे से न लौटाएं
- दूध का सेवन सीमित करें, विशेष रूप से कच्चा दूध