भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय फूलों का विशेष उपयोग करना माना जाता है शुभ
डॉ उमाशंकर मिश्र,लखनऊ : फाल्गुन माह हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना होता है। यह माह विशेष रूप से उल्लास, आनंद और रंगों से भरा होता है। इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इसे फाल्गुन माह कहा जाता है। फाल्गुन के इस माह में धीरे-धीरे गर्मी का आगमन और सर्दी का कम होना देखा जाता है। इसे “फागुन माह” भी कहा जाता है, जो हर दिशा में रंगों का बिखेरने वाला प्रतीत होता है। इस दौरान प्रकृति में सुंदरता की अनुपम छटा होती है।
भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व
फाल्गुन माह में चंद्रमा और श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण के तीन स्वरूपों की पूजा की जाती है।
- बाल कृष्ण की पूजा संतान सुख के लिए,
- युवा कृष्ण की पूजा प्रेम और आनंद के लिए,
- गुरु कृष्ण की पूजा ज्ञान और वैराग्य के लिए की जाती है।
फाल्गुन माह में प्रमुख पर्व
इस माह में प्रमुख पर्व जैसे होली, शिवरात्रि, फाल्गुन पूर्णिमा और एकादशी मनाए जाते हैं। होली, जो रंगों का पर्व है, प्रकृति और जीवन के विभिन्न रंगों को दर्शाता है।
- शिवरात्रि: फाल्गुन माह की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, जो वर्षभर में आने वाली 12 शिवरात्रियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- विजया एकादशी: यह व्रत 24 फरवरी को मनाया जाएगा।
- फाल्गुन अमावस्या: इस दिन देव-पितृ कार्यों के लिए पूजा की जाती है।
फाल्गुन माह में विशेष ध्यान देने योग्य बातें
इस माह के दौरान व्यक्ति को अपने आहार का ध्यान रखना चाहिए। शीतल जल से स्नान करना उत्तम होता है, और तामसिक भोजन जैसे मांस, मांसाहारी भोजन और तले-भुने पदार्थों से बचना चाहिए। साथ ही, इस माह में भगवान कृष्ण की पूजा करते समय फूलों का विशेष उपयोग करना शुभ माना जाता है।
फाल्गुन माह के प्रमुख व्रत और पर्व
- 20 फरवरी (गुरुवार): कालाष्टमी, राष्ट्रीय फाल्गुन माह आरंभ, श्रीनाथ जी पाटोत्सव।
- 21 फरवरी (शुक्रवार): सीताष्टमी, मां जानकी जन्मोत्सव।
- 24 फरवरी (सोमवार): विजया एकादशी व्रत।
- 25 फरवरी (मंगलवार): भौम प्रदोष व्रत।
- 26 फरवरी (बुधवार): महाशिवरात्रि पर्व (रात्रि चार प्रहर पूजन-अभिषेक)।
- 02 मार्च (रविवार): मेला खाटु श्यामजी, मधुक तृतीया।
- 03 मार्च (सोमवार): विनायक चतुर्थी, मनोरथ चतुर्थी।
- 06 मार्च (गुरुवार): कल्याण सप्तमी।
- 07 मार्च (शुक्रवार): होलाष्टक आरंभ, अन्नपूर्णा अष्टमी।
- 08 मार्च (शनिवार): अनन्दा नवमी, लठमार होली (बरसाना)।
- 13 मार्च (गुरुवार): होलिका दहन, श्री सत्यनारायण व्रत।
- 14 मार्च (शुक्रवार): स्नान-दान हेतु फाल्गुन पूर्णिमा, धुलंडी (बसंतोत्सव), होलाष्टक समाप्त।
फाल्गुन माह में किए जाने वाले विशेष प्रयोग
- क्रोध या चिड़चिड़ाहट की समस्या हो तो श्री कृष्ण को अबीर गुलाल अर्पित करें।
- मानसिक अवसाद की समस्या हो तो चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें और सुगंधित जल से स्नान करें।
- स्वास्थ्य समस्या में शिव जी को सफेद चंदन अर्पित करें।
- आर्थिक समस्या के लिए माँ लक्ष्मी को गुलाब का इत्र या गुलाब अर्पित करें।