इस व्रत को करने वाला समस्त पापों से मुक्त होकर स्वर्ग प्राप्त करता है
डॉ उमाशंकर मिश्रा, लखनऊ : 18 अगस्त 2025 (सोमवार) को सायं 05:53 बजे से लेकर 19 अगस्त 2025 (मंगलवार) को सायं 03:47 बजे तक एकादशी तिथि है। इस एकादशी का पारण 20 अगस्त (बुधवार) को प्रातः 08:00 से 10:30 बजे के मध्य करना उत्तम रहेगा। 19 अगस्त (मंगलवार) को अजा एकादशी व्रत (उपवास) किया जाना विशेष फलदायी है।
युधिष्ठिर का प्रश्न
राजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा: हे जनार्दन! भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? कृपया उसकी महिमा विस्तार से बताइये।
भगवान श्रीकृष्ण का उत्तर
श्रीकृष्ण बोले: राजन्! एकचित्त होकर सुनो। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अजा एकादशी है। यह समस्त पापों का नाश करने वाली और अत्यंत पुण्यदायिनी मानी जाती है। जो भक्त भगवान हृषीकेश का पूजन करके इस व्रत को करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।”
अजा एकादशी की ऐतिहासिक कथा
प्राचीनकाल में हरिश्चंद्र नामक एक महान सत्यनिष्ठ चक्रवर्ती सम्राट थे। वे संपूर्ण पृथ्वी के अधिपति थे और सत्य व धर्म के पालन में अडिग थे। एक बार, पूर्वजन्म के कर्मों के कारण उन्हें अपना राज्य छोड़ना पड़ा। उन्होंने अपनी पत्नी और पुत्र को बेच दिया तथा स्वयं को भी एक चाण्डाल को बेच दिया। राजा हरिश्चंद्र मुर्दों के कफन लेने का कार्य करने लगे, फिर भी सत्य का पालन नहीं छोड़ा। कई वर्षों तक यह कष्ट सहते रहे और अंततः अत्यंत दुखी होकर भगवान से उद्धार का मार्ग पूछने लगे।
इसी अवस्था में उन्हें महर्षि गौतम मिले। राजा ने उन्हें सारा दुःख सुनाया। महर्षि गौतम बोले: राजन्! भाद्रपद कृष्ण पक्ष में जो अजा एकादशी आती है, वह अत्यंत कल्याणकारी है। उस दिन उपवास और रात्रि जागरण करें, निश्चित ही समस्त पापों का नाश होगा।राजा ने महर्षि के आदेशानुसार व्रत का पालन किया। एकादशी के पुण्य प्रभाव से राजा को उनकी पत्नी और पुत्र पुनः प्राप्त हुए, राज्य पुनः मिला और अंततः वे परिजनों सहित स्वर्ग लोक को प्राप्त हुए।
व्रत का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने अंत में युधिष्ठिर से कहा: जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर स्वर्ग प्राप्त करता है। इस व्रत की कथा का श्रवण अथवा पठन करने से भी अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है।