रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के पाप भस्म हो जाते हैं
डॉ. उमाशंकर मिश्र ,लखनऊ : “रुद्राभिषेक” अर्थात भगवान शिव के रूद्र स्वरूप का वैदिक विधियों द्वारा अभिषेक करना। वेदों में शिव को रुद्र कहा गया है — “रुतम् दु:खम् द्रावयति इति रुद्र:” — जो दु:खों का नाश करता है। शास्त्रों के अनुसार रुद्राभिषेक समस्त पापों का नाश करने वाली, अत्यंत पुण्यदायिनी, और मोक्ष प्रदान करने वाली उपासना मानी जाती है।
रुद्राभिषेक के प्रभाव
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के पाप भस्म हो जाते हैं। साधक में शिवत्व का उदय होता है और भगवान शिव का शुभाशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा गया है कि रुद्र के पूजन से समस्त देवताओं की पूजा स्वतः पूर्ण हो जाती है।
शास्त्र सम्मत कथाएँ
1. उत्पत्ति की कथा: ब्रह्मा-विष्णु विवाद के दौरान भगवान रुद्र एक विशाल लिंग रूप में प्रकट हुए। जब ब्रह्मा और विष्णु लिंग का आदि-अंत न खोज सके, तब उन्होंने लिंग का अभिषेक किया। यहीं से रुद्राभिषेक की परंपरा का आरंभ हुआ।
2. माता पार्वती की जिज्ञासा: भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से विविध द्रव्यों से उनका अभिषेक करता है, उसे इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
रुद्राभिषेक की विधि
आवश्यक सामग्री:
- गंगाजल, पंचामृत, श्रृंगी (अभिषेक पात्र), चांदी/स्टील के लोटे
- कुशा जल, शहद, दही, दूध, फल रस, काले तिल, चने की दाल, घी, हल्दी, कुमकुम आदि
- पुष्प, बेलपत्र, धूप, दीप, मौली, कुमकुम, रुद्राष्टाध्यायी की पुस्तक
अभिषेक में प्रयुक्त मंत्र:ॐ नमः शिवाय
– पंचाक्षरी मंत्रॐ त्र्यंबकं यजामहे...
– महामृत्युंजय मंत्र
रुद्राष्टाध्यायी (11 आवृत्ति = लघु रुद्र)
रुद्राभिषेक के प्रकार एवं उनके फल
क्रम | अभिषेक सामग्री | उद्देश्य |
---|---|---|
1 | जल | समस्त दुखों से मुक्ति |
2 | दूध | शिव की कृपा व प्रसन्नता हेतु |
3 | फल/गन्ने का रस | धनवृद्धि व कर्ज मुक्ति |
4 | सरसों का तेल | ग्रह बाधा व ऊपरी बाधा नाश |
5 | चने की दाल | कार्य आरंभ व सफलता हेतु |
6 | काले तिल | बुरी नजर, तंत्र बाधा से रक्षा |
7 | शहद मिश्रित गंगाजल | संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख |
8 | घी व शहद | रोग नाश व दीर्घायु हेतु |
9 | कुमकुम, केसर, हल्दी | आकर्षण व व्यक्तित्व विकास |
विशेष निर्देश:
- अभिषेक के लिए तांबे के पात्र में दूध, दही, पंचामृत न डालें, केवल जल का प्रयोग करें।
- प्रत्येक द्रव्य के साथ संबंधित देवता मंत्रों का जाप करें।
- शिवलिंग पर पतली जलधारा बनाए रखें।
- अभिषेक के बाद शिवलिंग को स्वच्छ जल से धोकर साफ करें।
श्रावण मास और रुद्राभिषेक
श्रावण मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। इस मास में सोमवार, त्रयोदशी, या प्रदोष काल में रुद्राभिषेक करने से शीघ्र और चमत्कारी फल की प्राप्ति होती है।