हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रियाँ होती हैं
डॉ उमाशंकर मिश्रा,लखनऊ : आम जनमानस को चैत्र और शारदीय नवरात्रियों की जानकारी होती है, परंतु आषाढ़ एवं माघ मास में भी नवरात्रि आती है, जिसे “गुप्त नवरात्रि” कहा जाता है। यह विशेष साधना का काल होता है। इस वर्ष आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 26 जून, गुरुवार से हुआ है, जो 04 जुलाई, शुक्रवार को नवमी तिथि के साथ सम्पन्न होगी।
गुप्त नवरात्रि में साधक को शुभ संकल्पों की सिद्धि, शत्रुओं से मुक्ति तथा मानसिक शक्ति की प्राप्ति होती है। यदि नवरात्रि के दौरान नियमित रूप से स्नानादि के बाद तिलक कर दीपक प्रज्वलित किया जाए तथा निम्न मंत्रों में से किसी एक की 21 माला जप की जाए, तो शत्रु भी मित्रवत व्यवहार करने लगते हैं।
उपयोगी मंत्र:
- “हूं”
- “अं रां अं”
इसके साथ यदि ‘श्री गुरुगीता’ का पाठ किया जाए, तो यह प्रयोग अत्यंत फलदायी होता है।
माताओं और बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण प्रयोग – 1
जिन महिलाओं को बार-बार मानसिक, पारिवारिक या स्वास्थ्य संबंधी कष्ट होते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी स्थापना के दिन) दीपक जलाकर अशोक वृक्ष की पूजा करें। पूजा करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
“अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले”
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार यह प्रयोग महिलाओं के दुःखों को दूर करता है।
कष्ट निवारण हेतु दूसरा प्रयोग (माताओं के लिए)
- शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को बिना नमक-मिर्च का भोजन करें (जैसे दूध, रोटी, खीर आदि)।
- उसी दिन उत्तर दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्र का जप करें:
“ॐ ह्रीं गौरये नमः” - स्वयं को कुमकुम का तिलक करें।
- गाय को चंदन का तिलक कर गुड़ और रोटी खिलाएं।
यह प्रयोग मानसिक शांति एवं आत्मिक संतुलन लाता है।
धन प्राप्ति हेतु विशेष प्रयोग
गुप्त नवरात्रि के दौरान नीचे दिए गए मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ धन (अर्थ) की प्राप्ति के योग बनते हैं। यह साधना विशेष रूप से लक्ष्मीप्राप्ति के लिए की जाती है।
धन मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा”
प्रतिदिन पूजा में इस मंत्र की कम से कम एक माला का जप करें।
विद्यार्थियों के लिए विशेष साधना
नवरात्रि के प्रथम दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रखें तथा विधिपूर्वक पूजन करें। तत्पश्चात नवरात्रि के पहले तीन दिनों तक निम्न सारस्वत्य मंत्र का जप करें:
“ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः”
बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो प्रतिदिन सूर्यदेव का ध्यान भ्रूमध्य में करें। जिन विद्यार्थियों को गुरु द्वारा गुरुमंत्र प्राप्त है, वे भी गुरु का ध्यान करें और नवरात्रि में एक या दो माला जप अवश्य करें।