देवी सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत और रचनात्मकता की देवी माना जाता है
डॉ. उमाशंकर मिश्र,संवाददाता : हिंदू धर्म में माघ माह को त्योहारों का महीना माना जाता है, क्योंकि इस महीने में कई बड़े पर्व मनाए जाते हैं, जैसे सकट चौथ, षटतिला एकादशी, मौनी अमावस्या और गुप्त नवरात्रि। इसी दौरान माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जो संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन उनकी उपासना से साधक की खुशियों में वृद्धि होती है। वसंत पंचमी खासतौर पर विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। देवी सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत और रचनात्मकता की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से कला और ज्ञान में वृद्धि होती है।
आज की पंचमी तिथि:
वसंत पंचमी का पर्व आज, 3 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार यह तिथि सुबह 9:36 तक रहेगी, और इस तिथि के अनुसार वसंत पंचमी का आयोजन किया जाएगा।
सरस्वती पूजा मुहूर्त:
आज 3 फरवरी को वसंत पंचमी का पूजन और किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए दिनभर मुहूर्त रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त: 12:13 से 12:56 तक
अमृतकाल: रात 20:24 से 21:53 तक
शुभ योग:
- नक्षत्र: रेवती
- योग: सिद्ध और साध्य योग का महत्वपूर्ण संयोग
- इस दिन विशेष रूप से पूजा और महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ रहेगा।
सरस्वती पूजा की सामग्री:
- माँ सरस्वती की तस्वीर
- गणेश जी की मूर्ति
- चौकी और पीला वस्त्र
- पीला साड़ी, माला, गुलाल, रोली, कलश, सुपारी, पान के पत्ते
- अगरबत्ती, आम के पत्ते, घी, कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता
- भोग में मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू
- चंदन, अक्षत, दूर्वा और गंगाजल
वसंत पंचमी पूजा विधि:
- पूजा स्थान पर चौकी रखें और उस पर पीला साफ वस्त्र बिछाएं।
- माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- देवी को पीले रंग के वस्त्र, फूल, रोली, केसर, हल्दी और चंदन अर्पित करें।
- मिठाई का भोग अर्पित करें और दीपक जलाएं।
- माँ सरस्वती के मंत्रों का जाप करें।
- पूजा के बाद आरती करके प्रसाद वितरित करें।
बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान:
इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, और महाकुंभ का आयोजन 12 वर्षों में एक बार होता है। इस बार महाकुंभ के अवसर पर विशेष योग बन रहे हैं, जो 144 वर्षों के बाद बन रहे हैं। इस दिन संगम में अमृत स्नान का महत्व है। बसंत पंचमी को गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से अमृत स्नान का लाभ प्राप्त होता है और माँ सरस्वती की कृपा मिलती है। इससे विद्या, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।
पतझड़ की शुरुआत:
बसंत का मौसम आते ही पेड़ पुराने पत्तों को गिराकर नए पत्ते लाते हैं। ठीक वैसे ही हमें भी अपनी बुरी आदतें छोड़नी चाहिए, नई चीजें सीखनी चाहिए और जीवन में नई शुरुआत करनी चाहिए। यह समय पढ़ाई और ज्ञान पर ध्यान देने का है, क्योंकि ज्ञान हमारे जीवन में उजाला लाता है।