अजय और रूपा ने हत्या को अंजाम देने के लिए रचा था पूरा षड्यंत्र
लखनऊ,संवाददाता : लखनऊ के एडीजे रोहित सिंह की कोर्ट ने एक बहुचर्चित और जघन्य हत्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पति-पत्नी को फांसी की सजा सुनाई। यह मामला 2020 का है, जब बंथरा थाना क्षेत्र में अजय सिंह और उसकी पत्नी रूपा सिंह ने अपने ही परिवार के छह सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड ने पूरे शहर और प्रदेश को हिलाकर रख दिया था। घटना के पीछे संपत्ति विवाद मुख्य कारण था। अजय सिंह ने अपने माता-पिता, छोटे भाई, भाभी, और उनके दो बच्चों को योजनाबद्ध तरीके से मौत के घाट उतार दिया। यह घटना न केवल पारिवारिक दरार को उजागर करती है, बल्कि समाज में बढ़ती धन और संपत्ति की लालसा की भयावह तस्वीर भी पेश करती है। जांच में यह बात सामने आई कि अजय और रूपा ने हत्या को अंजाम देने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा था। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को पहले बेहोश किया और फिर निर्ममता से उनकी हत्या कर दी। मासूम बच्चों तक को नहीं बख्शा गया। यह घटना पूरे इलाके में चर्चा और भय का कारण बन गई थी।
लखनऊ पुलिस ने घटना के बाद सक्रियता दिखाते हुए मामले की गहराई तक जांच की। पुलिस ने दंपति को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाए, जिनमें फॉरेंसिक रिपोर्ट, गवाहों के बयान और अन्य तकनीकी सबूत शामिल थे। इसके बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया। एडीजे रोहित सिंह की कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अजय और रूपा को दोषी करार दिया। कोर्ट ने इसे ‘दुर्लभतम मामलों’ में से एक बताया और कहा कि अपराध की क्रूरता और योजनाबद्धता को देखते हुए फांसी की सजा देना न्यायसंगत है। इस फैसले के बाद, पीड़ित परिवार के अन्य बचे हुए सदस्य न्यायपालिका का आभार व्यक्त करते हुए बोले कि भले ही न्याय मिलने में समय लगा हो, लेकिन दोषियों को फांसी की सजा उनके दर्द को कुछ हद तक कम करती है।
यह घटना समाज के लिए एक बड़ा संदेश है। संपत्ति और धन के लिए अपने ही परिजनों की हत्या करना मानवीय मूल्यों के पतन का उदाहरण है। इस फैसले ने समाज में कानून के प्रति विश्वास को और मजबूत किया है और भविष्य में ऐसे अपराधों के लिए एक कड़ा संदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध केवल जघन्य नहीं, बल्कि पूरी तरह से योजनाबद्ध था। हत्या करने से पहले दंपति ने सभी संभावित पहलुओं पर विचार किया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज में अपराधियों को सख्त दंड देने की आवश्यकता है। दंपति के पास फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का विकल्प है। हालांकि, मामले में मौजूद ठोस साक्ष्य के कारण उच्च न्यायालय में भी इस फैसले के बरकरार रहने की संभावना है।
घटना का समय: 2020
मामला: संपत्ति विवाद
न्यायालय: लखनऊ जिला कोर्ट
फैसला: फांसी की सजा
दोषी: अजय सिंह और रूपा सिंह