अभियुक्त ने बच्ची के साथ किया था पैशाचिक व्यवहार
मथुरा,संवाददाता : जिले की विशेष पोक्सो अदालत ने अनुसूचित जाति की आठ वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के दोषी एक व्यक्ति को मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई। बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। अदालत ने इस मामले को बेहद दुर्लभ मानते हुए दोषी को फांसी की सजा सुनाई है।
यह था मामला
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 26 नवम्बर 2020 को जैंत थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति के परिवार की आठ वर्ष की बच्ची अपनी मां के साथ लकड़ियां बीनने के लिए जंगल में गई थी और लापता हो गई। उसकी मां ने उसे ढूंढने की कोशिश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं लग सका। देर शाम पुलिस ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर छाता कोतवाली के तरौली-सुमाली निवासी महेश उर्फ मसुआ के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 363 (बहला-फुसला कर ले जाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया और उसकी तलाश शुरू की।
अभियोजन पक्ष के अनुसार पुलिस ने घटना की अगली सुबह बच्ची की तलाश शुरू की तो गांव के पास स्थित जंगल में एक पुलिया के नजदीक उसका शव मिला। शव की हालत बहुत खराब थी। पोस्टमार्टम से स्पष्ट हुआ कि दुष्कर्म के बाद बालिका की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। उसे इतने वीभत्स तरीके से मारा गया था कि उसके गले की हड्डी टूट गई थी और आंखें बाहर निकल आई थीं। पुलिस ने फोरेंसिक साक्ष्य एकत्रित कर मुकदमे में दुष्कर्म, हत्या समेत अन्य धाराएं जोड़ कर जांच शुरू कर दी। विवेचना में पता लगा कि उन दिनों छाता कोतवाली के गांव तरौली-सुमाली निवासी महेश उर्फ मसुआ को वहां अक्सर देखा गया था। पुलिस ने मौके से मिले फोरेंसिक साक्ष्य और फिंगर प्रिंट्स का मिलान महेश से किया तो वह पूरी मेल खा गया। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
फांसी की सजा
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पाक्सो कोर्ट-द्वितीय) ब्रजेश कुमार (द्वितीय) ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद महेश को दोषी करार देते हुए मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई। उस पर तीन लाख 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। न्यायाधीश ने सजा सुनाते हुए कहा कि अभियुक्त ने बच्ची के साथ जो पैशाचिक व्यवहार किया है, वैसा तो जंगली जानवर भी दूसरी प्रजाति के जानवरों के बच्चों के साथ नहीं करते। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए यह अति दुर्लभ मामला है।