बीएसई सेंसेक्स में 3500 की गिरावट, 1000 अंकों तक टूटा निफ्टी
दिल्ली,संवाददाता : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर ने वैश्विक बाजारों को हिला कर रख दिया है। सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली, जहां बीएसई सेंसेक्स 3500 अंक तक लुढ़क गया और निफ्टी 1000 अंकों तक टूट गया। निवेशकों के बीच अफरातफरी का माहौल था, क्योंकि प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई।
शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत होते ही बीएसई सेंसेक्स 75,364.69 के पिछले बंद से गिरकर 71,449 के स्तर तक पहुंच गया। इसी तरह, निफ्टी भी 22,904 से गिरकर 21,758 पर खुला और जल्द ही 1000 अंक तक नीचे आ गया। शेयर बाजार में लार्जकैप इंडेक्स के अधिकांश शेयरों में गिरावट देखी गई। खासतौर पर टाटा स्टील के शेयर में 10.43% की गिरावट आई और वह 125.80 रुपये पर आ गया। इसके अलावा, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, एलएंडटी, एचसीएल टेक, अदानी पोर्ट्स, टीसीएस, रिलायंस, और एनटीपीसी के शेयरों में भी 4-8% की गिरावट रही।
निवेशकों को सोमवार को 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में कमी से संबंधित था। इस गिरावट ने वैश्विक मंदी, बढ़ती महंगाई, केंद्रीय बैंकों की सख्त नीतियों और भू-राजनीतिक तनाव के बारे में चिंताएं और बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह गिरावट का दौर जारी रहता है, तो यह न केवल भारतीय शेयर बाजार, बल्कि समूची अर्थव्यवस्था को गहरे संकट की ओर ले जा सकता है। छोटे निवेशकों से लेकर बड़े औद्योगिक समूहों तक सभी घाटे का आकलन करने में लगे हैं, और आम लोग भी इस आर्थिक सुनामी के प्रभाव को सड़कों पर महसूस कर रहे हैं।
शेयर बाजार में ऐसी गिरावटें पहले भी देखी गई हैं। 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के बाद सेंसेक्स में भारी गिरावट आई थी, 2008 में वैश्विक संकट के कारण भी सेंसेक्स 60% तक गिरा था, और 2020 में कोविड-19 के कारण भी बाजार में हाहाकार मच गया था। इस गिरावट से निवेशकों के लिए यह एक चेतावनी है कि उन्हें अपने निवेशों को लेकर अधिक सतर्क रहना चाहिए, खासकर ऐसी वैश्विक घटनाओं के दौरान जो बाजारों को प्रभावित कर सकती हैं।