सुरक्षित निवेश और औद्योगिक मांग के दम पर 137% उछाल, 2026 में भी तेजी की उम्मीद
नई दिल्ली,संवाददाता : वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच सुरक्षित निवेश विकल्पों और चुनिंदा उद्योगों में बढ़ती मांग के कारण इस साल चांदी ने रिटर्न के मामले में सोने और शेयर बाजार दोनों को पीछे छोड़ दिया है। जहां सोने ने करीब 70 प्रतिशत का रिटर्न दिया, वहीं चांदी 130 प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज कर चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से नीतिगत दरों में संभावित कटौती के बीच अगले साल भी चांदी में 15 से 20 प्रतिशत तक की तेजी बनी रह सकती है।
चांदी रिकॉर्ड ऊंचाई पर
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, दिल्ली में सोमवार को चांदी की कीमत 10,400 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर 2,14,500 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इस साल एक जनवरी को चांदी का भाव 90,500 रुपये प्रति किलोग्राम था। इस तरह अब तक चांदी में 1,24,000 रुपये यानी लगभग 137 प्रतिशत की जबरदस्त तेजी आ चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में दमदार रिटर्न
आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स लिमिटेड के निदेशक (जिंस एवं मुद्रा) नवीन माथुर के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय हाजिर बाजार में चांदी ने अब तक 130 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट के चलते एमसीएक्स वायदा बाजार में चांदी का रिटर्न लगभग 138 प्रतिशत तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि निवेशकों का एक बड़ा वर्ग सरकारी बॉन्ड और मुद्राओं के बजाय वैकल्पिक निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रहा है, जिससे चांदी में निवेश की मांग बढ़ी है। इसके अलावा, औद्योगिक मांग में इजाफा और लगातार पांचवें साल आपूर्ति में कमी भी कीमतों को मजबूती दे रही है।
औद्योगिक मांग बनी तेजी की बड़ी वजह
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (जिंस) राहुल कलंत्री ने कहा कि चांदी में आई तेजी सट्टेबाजी का नतीजा नहीं बल्कि मजबूत संरचनात्मक कारणों पर आधारित है। कृत्रिम मेधा (एआई), इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और स्वच्छ ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में चांदी की बढ़ती मांग कीमतों को लगातार समर्थन दे रही है।
उन्होंने बताया कि ईटीएफ में निरंतर निवेश, भौतिक खरीद में बढ़ोतरी और निवेशकों का जिंस बाजार की ओर झुकाव भी चांदी की कीमतों को मजबूती दे रहा है। इसके साथ ही सोने-चांदी के अनुपात में आई तेज गिरावट यह संकेत देती है कि चांदी की कीमतें सोने के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं।
सोना और शेयर बाजार रहे पीछे
रिटर्न के लिहाज से इस साल 19 दिसंबर तक सोने ने करीब 72 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि शेयर बाजार में निफ्टी 50 और निफ्टी 500 सूचकांक ने क्रमशः 7.0 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत का ही रिटर्न दिया। इस तुलना में चांदी निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक विकल्प बनकर उभरी है।
आपूर्ति संकट से और बढ़ेगी चमक
नवीन माथुर ने वैश्विक निकाय सिल्वर इंस्टिट्यूट के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि चांदी की आपूर्ति में लगातार पांचवें वर्ष लगभग 9.5 करोड़ औंस की कमी बनी हुई है। यही आपूर्ति संकट आने वाले वर्षों में भी कीमतों में मजबूती का प्रमुख कारण रहेगा। साथ ही, औद्योगिक मांग 2025 और उसके बाद भी ऊंचे स्तर पर बने रहने की संभावना है।
2026 के लिए क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के मुताबिक, आर्थिक गतिविधियों में तेजी, महंगाई का दबाव और सौर ऊर्जा व ईवी जैसे क्षेत्रों में बढ़ती मांग के कारण चांदी अगले साल भी सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में बनी रह सकती है। राहुल कलंत्री के अनुसार, मजबूत औद्योगिक मांग, सीमित आपूर्ति और अनुकूल तकनीकी संकेतों के चलते चांदी का दीर्घकालिक परिदृश्य सकारात्मक है और 2026 में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है। हालांकि, उन्होंने निवेशकों को अस्थिरता और बीच-बीच में सुधार के लिए तैयार रहने की सलाह दी।
निवेशकों के लिए सलाह
नवीन माथुर ने कहा कि इस साल चांदी में असाधारण रिटर्न देखने को मिला है, इसलिए अगले साल भी इसी स्तर के रिटर्न की उम्मीद करना उचित नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि 2026 में कीमती धातुओं में निवेश चरणबद्ध तरीके से करना चाहिए और कीमतों में 5 से 8 प्रतिशत की गिरावट आने पर ही नई खरीद करनी चाहिए। कुल मिलाकर, 2026 की पहली छमाही में मौजूदा स्तरों से 20 से 25 प्रतिशत तक अतिरिक्त रिटर्न मिलने की संभावना जताई जा रही है।























